उदयकाल के संदर्भ में पालन करने योग्य आचार
उदयकालीन सूर्य की किरणों का स्पर्श क्यों न होने दें ?, सूर्योदय एवं सूर्यास्त के संधिकाल में साधना करने का महत्त्व
सनातन निर्मित ग्रंथ : आदर्श दिनचर्या एवं अध्यात्मशास्त्र
उदयकालीन सूर्य की किरणों का स्पर्श क्यों न होने दें ?, सूर्योदय एवं सूर्यास्त के संधिकाल में साधना करने का महत्त्व
सनातन निर्मित ग्रंथ : आदर्श दिनचर्या एवं अध्यात्मशास्त्र
नैवेद्य दिखाते समय सात्त्विक अन्न का नैवेद्य भावपूर्ण प्रार्थना करके भगवान को अर्पण करने पर उस नैवेद्य के पदार्थ की सात्त्विकता के कारण भगवान से प्रक्षेपित होनेवाली चैतन्य-लहरें नैवेद्य की ओर आकृष्ट होती हैं । इससे नैवेद्य के लिए अन्न बनाते समय उसमें देशी घी के समान सात्त्विक पदार्थाें का उपयोग किया जाता है ।
भाग्यनगर में (हैद्राबाद) एक शास्त्रज्ञ ने खोज की, केले के पेड के तने अथवा केले के पेड मे लगे केलोंके गुच्छे के सिरे पर कमल के आकार का सिरा, पत्तों में जो चिपचिपा द्रव्य पदार्थ होता है, उसे खाने के उपरांत कर्करोग (कैंसर) बढानेवाली ग्रंथी धीरे-धीरे निष्क्रीय होती जाती है ।
अन्न खुला न रखें, अन्न को ढककर रखें । स्थूलरूप से अन्न की रक्षा हेतु, अन्न में कोई जीव-जंतु न जाए आदि कारणों से हम उसे ढककर रखते हैं । स्थूल के साथ सूक्ष्मरूप से भी अन्न की रक्षा हो, इसके लिए उ से ढकना आवश्यक है ।
प्रभु श्रीराम का जन्म माध्यान्हकाल अर्थात दो. १२ बजे मनाया जाता है । प्रभु श्रीराम की मूर्ति की अथवा प्रतिमा, हमें जो भी संभव हो, उसका पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजन करें ।
‘चैत्र प्रतिपदा यह युगादि तिथि है । ‘युग’ और ‘आदि’ इन शब्दों की संधि से ‘युगादि’ शब्द बना है । इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की निर्मिति की थी ।
ब्राह्ममुहूर्त यह सवेरे ३.४५ से ५.३० तक ऐसे दो घंटों का होता है । इसे रात्रि का ‘चौथा प्रहर’ अथवा ‘उत्तररात्रि’ भी कहते हैं । इस काल में अनेक बातें ऐसी होती रहती हैं कि जो दिनभर के काम के लिए लगनेवाली ऊर्जा करती हैं । इस मुहूर्त पर उठने से हमें एक ही समय पर ९ लाभ मिलते हैं ।
वर्तमान में हिन्दुओं के उत्सव-त्योहारों में विकृतियां बढने लगी है, उस अनुषंग से एवं पौरोहित्य करते समय मातृवर्ग द्वारा जो समस्या प्रस्तुत की जा रही हैं, इस कारण यह लेख लिखना प्रतीत हुआ
अधिकांश हिन्दू स्त्रियां एवं कुछ पुरुष माथे पर कुमकुम अथवा गंध लगाते हैं । उनकी लगाने की पद्धति प्रांत अथवा संप्रदाय अनुसार भिन्न होती है । स्त्रियों एवं पुरुषों का माथे पर कुमकुम अथवा गंध लगाने का आध्यात्मिक महत्त्व आगे दिएनुसार है ।
हिन्दुओं की विजय होने हेतु अपराजिता देवी का भावपूर्ण पूजन करें ! इस वर्ष विजयादशमी को खरा सीमोल्लंघन करने का आरंभ अर्थात अपने क्षेत्र की संदेहास्पद आतंकवादी गतिविधियों की जानकारी पुलिस-प्रशासन को दें !