साष्टांग नमस्कार ऐसे करें !

विद्यार्थियो, जीवन की समस्याओं या दुःखभरे प्रसंगों में हम डगमगा जाते हैं । उनका धैर्यपूर्वक सामना करने हेतु बल कहां से प्राप्त होगा ? जीवन में उत्पन्न परिस्थिति को स्वीकारकर नित्य आनंदमय जीवन कैसे जी पाएंगे ? उत्तर है नामजप से !

देवी की आरती कैसे करें ?

देवी का पूजन होने के उपरांत अंत में आरती की जाती है । ऐसा नहीं है कि आरती गाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आरती की चाल, उस समय कौन-से वाद्य बजाने चाहिए इत्यादि की जानकारी हो ही, इसलिए ये गलतियां कैसे टाली जा सकती हैं, इस लेख द्वारा हम उसे समझने का प्रयास करेंगे ।

ईश्वर की कृपा संपादन करने का सुलभ मार्ग है ‘प्रार्थना’ !

‘भगवान अथवा गुरु की शरण जाकर याचना करके मनोवांछित फल मांगना, अर्थात प्रार्थना । मन से की गई प्रार्थना के कारण भगवान एवं गुरु का कृपाशीर्वाद निरंतर मिलता है ।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजाविधि

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना श्रावण कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ । यह दिन श्रीकृष्णजयंती के रूप में मनाया जाता है । प्रस्तुत लेख में श्रीकृष्ण की पूजाविधि दी है । पूजा के मंत्रों का अर्थ समझ में आने पर, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधिक भावपूर्ण होने में सहायता होती है … Read more

विनाशकारी पटाखोंपर प्रतिबंध लगाएं !

अमावास्याका अंधेरा कान फाडनेवाले पटाखोंके कारण दूर नहीं होता; अपितु आंखोंके समक्ष जुगनूके समान चमककर सर्वत्र गहराता हुआ अंधकार होनेका ही भ्रम होता है ।

दीपावलीका पूर्वायोजन

दीपावली शब्दका अर्थ है, दीपोंकी पंक्ति । अपने घरमें सदैव लक्ष्मीका वास रहे, ज्ञानका प्रकाश रहे, इसलिए हरकोई बडे आनंदसे दीपोत्सव मनाता है । घर शुद्ध एवं सुशोभित कर दीपावली मनानेसे श्री लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तथा वहां स्थायीरूपसे निवास करती हैं ।

‘दीपावली’

वसुबारस अर्थात् गोवत्स द्वादशी दीपावलीके आरंभमें आती है । यह गोमाताका सवत्स अर्थात् उसके बछडेके साथ पूजन करनेका दिन है । शक संवत अनुसार आश्विन कृष्ण द्वादशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण द्वादशी गोवत्स द्वादशीके नामसे जानी जाती है । यह दिन एक व्रतके रूपमें मनाया जाता है ।

यमतर्पण

श्री यमराज धर्मके श्रेष्ठ ज्ञाता एवं मृत्युके देवता हैं । असामयिक मृत्युके निवारण हेतु यमतर्पणकी विधि बताई गई है । नरक चतुर्दशी के दिन यह विधि अभ्यंगस्नान के उपरांत की जाती है ।