गुरु रामकृष्ण परमहंसजी ने एेसे किया स्वामी विवेकानंद के अंतरंग में प्रार्थना का बीज अंकुरित !

स्वामी विवेकानंद के पिताश्री का निधन होता है । सिर पर बहुत ऋण था । इस संदर्भ में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से अनुरोध करने पर वे कहते हैं, “दुर्गामाता को बताओ । वही सब निपटाएगी ।”

वैवाहिक जीवन आनंदमय होने के लिए क्या करना चाहिए ?

विवाह के कारण परिवारव्यवस्था से उत्पन्न बच्चों को सुसंस्कार, प्रेम एवं सुरक्षा मिलती है । किंतु, व्यभिचार से उत्पन्न संतति, इन सबसे वंचित रहती है ।

धार्मिक विधियोंमें पति एवं पत्नीद्वारा करने योग्य कृत्य

जानिये इन प्रश्नोंके उत्तर – किस विधिमें पत्नी पतिकी बाइं ओर बैठे ?, पतिके दाहिने हाथको हस्तस्पर्श करते समय पत्नी अपनी चार उंगलियोंसे स्पर्श करती है, अंगूठेसे क्यों नहीं ? और अन्य प्रश्नोंके उत्तर |

वैदिक पद्धतिसे विवाह क्यों करते है ?

पशुके स्तरपर न रहकर उच्चतम स्तरपर जाकर, विवाह जैसे रज-तमात्मक प्रसंगको भी सात्त्विक बनाकर, उन्हें अध्यात्मसे जोडकर देवताओंके कृपाशीर्वाद प्राप्त करनेका अवसर हिंदु धर्मने दिया है ।

विवाह संस्कार

‘विवाह’ जीवनका एक महत्त्वपूर्ण संस्कार है । धार्मिक संस्कारोंको केवल परंपरागत करनेकी अपेक्षा, उनके शास्त्रीय आधारको समझकर करना महत्त्वपूर्ण होता है । शास्त्रीय आधार समझनेसे वह संस्कार अधिक श्रद्धापूर्वक होता है ।

श्राद्ध : प्रश्नोत्तर

श्राद्ध के कारण पूर्वजदोष के (पितृदोषके) कष्ट से रक्षा कैसे होती है ? ‘श्राद्धद्वारा उत्पन्न ऊर्जा मृत की लिंगदेह में समाई हुई त्रिगुणात्मक ऊर्जा से साम्य दर्शाती है; इसलिए अल्पावधि में श्राद्ध से उत्पन्न ऊर्जा के बल पर लिंगदेह मत्र्यलोक पार करती है । (मत्र्यलोक भूलोक एवं भुवर्लोक के मध्य स्थित है ।) एक बार … Read more

औक्षण (आरती उतारना)

‘औक्षण’ अर्थात दीपक की ज्योति की सहायता से कार्यरत ब्रह्मांड के देवताओं की तरंगों के पृथ्वी पर पदार्पण के क्षण का स्वागत करना एवं उस क्षण को ध्यान में रखकर उन तरंगों की शरण जाना ।

पंचोपचार एवं षोडशोपचार पूजन कैसे करें ?

पंचोपचार एवं षोडशोपचार जीव को विधिवत धर्माचरण सिखाती हैं । इससे, हिंदू धर्म में समाविष्ट उपचारों की उच्च अध्यात्मशास्त्रीय सटीकता स्पष्ट होती है ।’

देवतापूजन की पूर्वतैयारी की प्रत्यक्ष कृति

प्रस्तुत लेख में हम पूजा के पूर्व, पूजास्थल और उपकरणों की शुद्धि कैसे करें; देवी-देवता के तत्त्व से संबंधित रंगोली बनाना, पूजा हेतु बैठने के लिए आसनों के विविध प्रकार, भगवान पर चढाए गए पुष्प (निर्माल्य) उतारने की और देवी-देवताओं के चित्र और मूर्ति पोछने की योग्य पद्धति संबंधी जानकारी देखेंगे ।