आळंदी

ज्ञानेश्वर की पालखी आळंदी से पंढरपुर जाने के लिए जिस क्षण उठाई जाती है, उस क्षण आळंदी में ज्ञानेश्वर की समाधी मंदिर का कलश हिलता है और उसी समय अजानवृक्ष की शाखा उसी ओर झुक जाती हैं ।

एक रात में दिशा बदलनेवाला बिहार स्थित सूर्यमंदिर !

देश के अन्य सभी सूर्यमंदिर पूर्वाभिमुख हैं; केवल यही एकमेव सूर्यमंदिर पश्चिमाभिमुख है । कहा जाता है कि १०० फुट ऊंचा यह सूर्यमंदिर सहस्रों वर्ष पुरातन है ।

उत्तराखंड में कसारदेवी मंदिर के क्षेत्र की भू-गर्भीय तरंगों का नासा द्वारा संशोधन !

अल्मोडा (उत्तराखंड) इस जिले में कसारदेवी मंदिर की शक्ति के कारण विज्ञानवादी चकित हो गए हैं ।

श्रीक्षेत्र नीरा-नृसिंहपुर की महिमा

पुणे जनपद के पूर्व-दक्षिण कोण की दिशा में नीरा और भीमा नदियों के संगम तट पर श्रीक्षेत्र नीरा-नृसिंहपुर बसा है । जिनके कुलदेवता ‘नृसिंह’ हैं, वे इस तीर्थक्षेत्र में जाकर श्री नृसिंह के दर्शन करें ।

हिमाचल प्रदेश में ‘भलेई माता मंदिर’

शिमला, हिमाचल प्रदेश में स्थित ‘भलेई माता मंदिर’ के विषय में वहां के भक्तों की श्रद्धा है कि यहां की देवी की मूर्ति से जब पसीना निकलता है, तब पूजक की मनोकामना पूर्ण होती है ।

५१ शक्तिपीठों में से एक बांगलादेश के सीताकुंड गांव के (जि. चितगाव) भवानीदेवी का मंदिर !

चितगांव जिले में निसर्गरम्य स्थान पर पहाडी की तलहटी में बसे सीताकुंड नामक गांव में एक शक्तिपीठ है । यहां की दुर्गादेवी को भवानी देवी कहते हैं । सीताकुंड में माता सती का दायां हाथ गिरा था ।

श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन के पांचालेश्‍वर मंदिर का इतिहास एवं महिमा

महाराष्ट्र के बीड जनपद के गेवराई तहसील में स्थित श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन में गोदावरी में श्री पांचालेश्वर मंदिर है ।

महाकवि कालिदास को दिव्य ज्ञान प्रदान करनेवाली उज्जैन (मध्य प्रदेश) की श्री गढकालिकादेवी

लोककथानुसार शाकुंतलम, मेघदूत आदि ग्रंथों के रचयिता तथा सम्राट विक्रमादित्य की सभामंडल के नवरत्नों में से एक प्रमुख रत्न (प्रमुख व्यक्ति) महाकवि कालिदास की श्री गढकालिकादेवी, इष्ट देवी (उपासनादेवी) मानी जाती है ।

५१ शक्तिपीठोंमें से एक पाटलीपुत्र (पटना) के बडी और छोटी पटनदेवी के मंदिर

पटना (बिहार) में पटन देवी के २ मंदिर हैं । बडी पटन देवी और छोटी पटन देवी ! मान सिंह नामक राजा ने पहले पश्चिम द्वार से प्रवेश किया, इसलिए मंदिर ‘बडी पटन देवी मंदिर’ कहलाया । तत्पश्चात पूर्वद्वार से आकर मंदिर देखा, इसलिए वह छोटी पटनदेवी का मंदिर कहलाया ।

श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन का आदि दत्तपीठ : वरद दत्तात्रेय मंदिर !

महाराष्ट्र के बीड जनपद के गेवराई तहसील में गोदावरी नदी के दक्षिण तट पर बसा एक पवित्र दत्तपीठ !! जो अब ‘श्री राक्षसभुवन’ के नाम से जाना जाता है ।