श्रीपाद श्रीवल्लभ के निवास से पावन हुआ कर्नाटक का जागृत तीर्थस्थान कुरवपुर

कर्नाटक के रायचुर जनपद में बसा अत्यंत जागृत तीर्थस्थान ! कृष्णा नदी के मध्य में बसे प्राकृतिक द्वीपपर श्रीपाद श्रीवल्लभजीने १४ वर्ष निवास किया था ।

कवळे, गोवा का नयनमनोहर एवं जागृत श्री शांतादुर्गा देवस्थान !

मां जगदंबा का एक रूप है, गोवा राज्य के फोंडा तहसील में स्थित कवळे ग्राम की श्री शांतादुर्गादेवी ! यह गोवा का अत्यंत प्राचीन, जागृत तथा विख्यात मंदिर है । श्री शांतादुर्गादेवी तथा देवी के अन्य रूपों के संदर्भ में विस्तृतरूप से हम समझ लेंगे ।

शिव-पार्वती, ३३ करोड देवी-देवता, सप्तर्षि और कामधेनु के वास्तव्य से पावन जम्मू  की ‘शिवखोरी’ गुफा  !

भगवान शिव कैलास छोडकर कभी कहीं नहीं जाते हैं । इस अवसर पर कैलास छोडकर शिवजी को पार्वती और नंदी के साथ एक गुफा में रहने जाना पडा । वह गुफा है शिवखोरी की गुफा ।

पौराणिक दृष्टि से ऐतिहासिक मालवा (मध्यप्रदेश) का विश्‍वविख्यात ‘बाबा बैजनाथ मन्दिर’

‘मालवा के आगर स्थित बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर विश्व के विख्यात शिवमंदिरों में से एक है । इस मंदिर की चमत्कारी कथाओं से प्रभावित कर्नल मर्टिन ने १३७ वर्ष पूर्व, अंग्रेजों के शासनकाल में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया ।

श्रीलंका के पंच ईश्‍वर मंदिरों में से केतीश्‍वरम मंदिर !

श्रीलंका के पंचशिव क्षेत्रों में ‘केतीशवरम’ विख्यात है । यह उत्तर श्रीलंका के मन्नार जनपद के मन्नार नगर से १० कि. मी. की दूरी पर है ।

श्रीलंका के हिन्दुओं के सबसे बडे मुन्नीश्‍वरम मंदिर का शिवलिंग एवं मानावरी में बालु से बना शिवलिंग !

मुन्नीश्वरम ग्राम श्रीलंका के पुत्तलम जनपद में है । तमिल में ‘मुन्न’ अर्थात ‘आदि’, तथा ‘ईश्वर’ अर्थात ‘शिव’ ।

विजयवाडा (आंध्र) प्रदेश का कनकदुर्गा मंदिर

आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के तटपर बंसा हुआ बडा नगर है ‘विजयवाडा’ ! यहां कृष्णातटपर इंद्रकीलादी नामक पर्वत है, जहां ऋषिमुनियों ने तपश्चर्या की थी ।

शरयु तटपर स्थित मनुनिर्मितनगरी अयोध्या !

हिन्दुओं के उपास्यदेवता प्रभु श्रीरामचंद्रजी का जन्मस्थान है अयोध्यानगरी ! समय के तीव्रगति से आगे बढते समय अपने गौरवशाली इतिहास का अध्ययन एवं आचरण करना ही हिन्दुओं के लिए हितकारी होगा ।

प्रभु श्रीरामचंद्रजी के सान्निध्य के कारण पवित्र अयोध्यानगरी की पवित्रमय वास्तु !

जिस पवित्र स्थानपर प्रभु रामचंद्रजी का राज्याभिषेक हुआ, उस पवित्र स्थान को अब ‘राजगद्दी’ कहा जाता है ।