आळंदी

१. आळंदी का बोलनेवाला वृक्ष !

वनस्पति बोलती हैं, यह ज्ञानेश्‍वर महाराज ने सिद्ध कर दिखाया है । आधुनिक विज्ञान में भी ऐसा हो सकता है कि वनस्पति बोलती हैं, मनुष्य को जो समझ में आता है और उसप्रकार मनुष्य आचरण करते हैं । ज्ञानेश्‍वर की पालखी आळंदी से पंढरपुर जाने के लिए जिस क्षण उठाई जाती है, उस क्षण आळंदी में ज्ञानेश्‍वर की समाधी मंदिर का कलश हिलता है और उसी समय अजानवृक्ष की शाखा उसी ओर झुक जाती हैं । यह मैंने अनेक बार देखा है । इसप्रकार वास्तु और वनस्पति एकदूसरे से कितने संलग्न होते हैं, इसका उत्तम उदाहरण है आळंदी !

 

२. विशिष्ट उपकरणों से आळंदी का चैतन्य नापना संभव !

आळंदी में यदि विशिष्ट उपकरण (मीटर्स) लेकर जाएं, तो निश्‍चित दिन, निश्‍चित समय और निश्‍चित प्रहर में वहां का चैतन्य हम नाप सकते हैं ।

लेखक : डॉ. रघुनाथ शुक्ल
संदर्भ : विश्‍वचैतन्यातील गूढ, भाग १

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