उत्तराखंड में कसारदेवी मंदिर के क्षेत्र की भू-गर्भीय तरंगों का नासा द्वारा संशोधन !

हिन्दुओं के मंदिर चैतन्य के स्रोत हैं, इसका संशोधन विज्ञानवादी नासा करता है; परंतु अंनिस जैसे तथाकथित विज्ञानवादियों को नहीं लगता कि वे भी करें !

अल्मोडा (उत्तराखंड) – इस जिले में कसारदेवी मंदिर की शक्ति के कारण विज्ञानवादी चकित हो गए हैं । पर्यावरणतज्ञ डॉ. अजय रावत ने इस मंदिर के स्थान का अनेक वर्ष संशोधन किया है । इस क्षेत्र की भूमि के नीचे विशाल भू-चुंबकीय पथरीली सतह है । इस पर विद्युत कणों का आवरण है, जो संपूर्णरूप से भारित है । उससे चुंबकीय तरंगें प्रक्षेपित हो रही हैं ।

गत २ वर्षों से अमेरिका की अंतरिक्ष संशोधन संस्था नासा के वैज्ञानिक इस क्षेत्र का संशोधन कर रहे हैं । इन चुंबकीय तरंगों का मनुष्य के मस्तिष्क पर क्या परिणाम होता है, इसका वैज्ञानिक अभ्यास करते हैं ।

अब तक किए जा रहे शोध से कसारदेवी मंदिर समान ही दक्षिण अमेरिका के पेरू देश के माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में समानता है । इन तीनों स्थानों पर चुंबकीय शक्ति है । डॉ. रावत के संशोधन में भी ध्यान में आया है कि यह चारों स्थान चुंबकीयदृष्टि से भारित हैं ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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