प.प. वासुदेवानंद सरस्वती (टेंबे स्वामी) के गरुडेश्वर (जनपद नर्मदा, गुजरात) के समाधी मंदिर का छायाचित्रात्मक दर्शन

प.पू. श्री. टेंबे स्वामी महाराज संन्यासधर्म के आदर्श आचार्य थे । प्रत्यक्ष भगवान दत्तात्रेय प्रभु ही उनके रूप में अवतारित हुए हैं तथा उन्होंने श्रीदत्त संप्रदाय को ठीक प्रकार से जतन किया है ।

श्री समर्थ रामदासस्वामी के पदस्पर्श से पावन हुए ‘जांब’ क्षेत्र की जानकारी और कभी भी न रिक्त होनेवाले घी के गागर की विस्मयकारक कथा

समर्थ रामदासस्वामी के चरित्र में उल्लेखित घी की गागर श्रीक्षेत्र जांब के श्रीराम मंदिर में हमें देखने मिलती है । जिससे आज भी घी निकलता है ।

भगवान शिव का स्मरण कर, राजकाज करनेवाली राजमाता अहिल्याबाई होलकर !

राजमाता अहिल्याबाई होलकर भगवान शिव की भक्त थीं । वे प्रतिदिन शिवजी की पूजा करती थीं । शिवजी की उपासना से उनका आध्यात्मिक बल बढ गया था और इसी बल के आधार पर ही वे उत्तम रीति से राजकाज कर सकीं ।

कमलककडी से कागद बनवानेवाले राजा ‘भोज’ !

आजकल हमारे विद्यालयों में पढाया जाता है कि प्राचीन मिस्त्र (इजिप्त) देश में ‘पपायरस’ नामक पेड से कागद बनाया जाता है । परंतु, कागदनिर्माण का सत्य इतिहास कुछ और ही है ।

धर्मसम्राट करपात्री स्वामीजी का अलौकिक कार्य !

वर्ष १९०७ में श्रावण शुक्ल पक्ष द्वितीया को उत्तरप्रदेश के प्रतापगड जिले के भटनी ग्राम में करपात्री स्वामीजी का जन्म हुआ था ।

रामकृष्ण परमहंस 

रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत थे। संत रामकृष्ण परमहंस का जन्म १८ फ़रवरी १८३६ को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था।

भक्तोंपर अखंड कृपाछत्र रखनेवाले प.पू. भक्तराज महाराज !

  अनुक्रमणिका१. त्रैलोक्य के योगीराज अवतरित हुए धरतीपर ।२. संत भक्तराज महाराज द्वारा शिष्यावस्था में तडप के साथ की गई गुरुसेवा३. संत भक्तराज महाराज के जीवन की त्रिसूत्री : भजन, भ्रमण एवं भंडारा !३ अ. भजन३ आ. भ्रमण३ इ. भंडारा४. भक्तों से समरस संत भक्तराज महाराज !५. माया में होते हुए भी वैराग्‍यभाव में रहनेवाले … Read more

भजन, भंडारों और नामस्मरण के माध्यम से अध्यात्म सिखानेवाले संत भक्तराज महाराज !

७.७.२०१९ से संत भक्तराज महाराज ने १००वें वर्ष में पदार्पण किया है । (यह दिन संत भक्तराज महाराज का १००वां जन्मदिवस) उन्हींकी कृपा से प्रेरणा लेकर उनके सभी भक्तों ने सर्वसम्मति से इस वर्ष को उनके शताब्दी वर्ष में मनाने का सुनिश्‍चित किया है ।

बचपन से ही कठोर साधना कर दिव्य तेज प्राप्त किए हुए और श्रीराम मंदिर का निदिध्यास रखनेवाले प.पू. भगवानदास महाराज !

कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्दशी (११.११.२०१९) को पानवळ, बांदा (जनपद सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र) के प.पू. भगवानदास महाराज (प.पू. दास महाराज के पिता) का स्मृतिदिवस था । उसके उपलक्ष्य में यह लेख प्रकाशित कर रहे हैं ।