समर्थ रामदास स्वामी का प्रवृत्तिवाद के विषय में मार्गदर्शन

मनुष्य पहले अपना व्यवहार भली-भांति करे और फिर परमार्थ का विचार करे । हे विवेकी जन ! इसमें आलस न करना । प्रपंच को अनदेखा कर यदि तुम परमार्थ साधने का प्रयत्न करोगे, तो तुम्हें कष्ट होगा । यदि तुम प्रपंच और परमार्थ दोनों ठीक से करोगे, तब तुम विवेकी कहलाओगे ।

श्री समर्थ रामदासस्वामी के पदस्पर्श से पावन हुए ‘जांब’ क्षेत्र की जानकारी और कभी भी न रिक्त होनेवाले घी के गागर की विस्मयकारक कथा

समर्थ रामदासस्वामी के चरित्र में उल्लेखित घी की गागर श्रीक्षेत्र जांब के श्रीराम मंदिर में हमें देखने मिलती है । जिससे आज भी घी निकलता है ।

समर्थ रामदास स्वामी

माघ कृष्ण पक्ष नवमी को ‘रामदासनवमी’ पडती है ! रामदासस्वामी ने अपने जीवनकाल में अनेक अवसरों पर उपदेश किया था । वे केवल उपदेश नहीं करते थे, जीवों का उद्धार भी करते थे । रामदासनवमी के उपलक्ष्य में ऐसी ही एक घटना के विषय में आज हम जाननेवाले हैं ।

गुरु समर्थ रामदास स्वामी के प्राण बचाने के लिए बाघिन का दूध दूहकर लानेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज !

शिवाजी महाराज प्रत्येक गुरुवार समर्थ रामदासस्वामी के दर्शन कर ही भोजन करते थे । समर्थ के दर्शन में कितनी भी बाधा आए, वे दुखी नहीं होते थे ।