भगवान शिव का स्मरण कर, राजकाज करनेवाली राजमाता अहिल्याबाई होलकर !

एक नारी होकर भी अनेक कठिनाइयों का सामना कर उत्तम प्रकार से राजकाज करनेवाली राजमाता अहिल्याबाई होलकर ने २८ वर्ष तक इंदौर राज्य का शासन कैसे किया था’, इसकी जानकारी हम यहां लेंगेे ।

 

१. राजमाता अहिल्याबाई होलकर की शिव-उपासना और उनका कार्य

१ अ. शिवजी की उपासना से अपने में
आध्यात्मिक बल उत्पन्न कर, राजकाज उत्तम रीति से करना

राजमाता अहिल्याबाई होलकर भगवान शिव की भक्त थीं । वे प्रतिदिन शिवजी की पूजा करती थीं । शिवजी की उपासना से उनका आध्यात्मिक बल बढ गया था और इसी बल के आधार पर ही वे उत्तम रीति से राजकाज कर सकीं ।

१ आ. शिवपिंडी सदैव साथ रखना और शिव का स्मरण करते हुए कार्य करना

कोई भी कार्य सफलतापूर्वक करने के लिए आध्यात्मिक बल की आवश्यक होती है; यह बात राजमाता अहिल्याबाई जानती थीं । उनकी भगवान में बहुत आस्था थी और मानती थीं कि भगवान की शक्ति ही सदैव कार्य करती है । इसलिए वे अपने साथ सदैव शिवजी की पिंडी रखती थीं और उन्हें स्मरण कर प्रत्येक कार्य करती थीं । इसलिए, उनका प्रत्येक कार्य सफल होता था । कार्य करते समय उनमें थोडा भी अहंकार नहीं रहता था । इससे पता चलता है कि भगवान की उपासना में कितनी शक्ति होती है ।

१ इ. मेरे साथ-साथ प्रजा भी शिवजी की उपासना कर सके, इसके लिए शिवमंदिर बनवाना

‘केवल मैं ही नहीं, अन्य सभी भी शिवजी की आराधना कर उनकी कृपा प्राप्त करें और उसके बल पर अपना कार्य सफल बनाएं’, इसके लिए राजमाता अहल्याबाई होलकर ने शिवमंदिर बनवाए थे । उनका दृढ विश्‍वास था कि जब मंदिर की चैतन्यशक्ति पूरी जनता को मिलेगी, तब वह उचित आचरण करने लगेगी ।

१ ई. पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाना और नई धर्मशालाएं बनवाना

राजमाता अहिल्याबाई होलकर ने अनेक पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया था । प्रजा की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने नदीतट पर अनेक घाट और धर्मशालाएं बनवाईं । इसलिए कि वे जानती थीं कि जनता का वास्तविक विकास तब होगा जब मंदिरों की चैतन्यशक्ति से उसकी धार्मिक भावना जागृत होगी और वह सदाचारी बनेगी । इससे, राज्य में शांति तथा सुव्यवस्था होगी और प्रजा भी सुखी रहेगी ।

१ उ. ‘राघोबा पेशवा इंदौर पर आक्रमण करनेवाले हैं’,
यह पता चलने पर राजमाता अहिल्याबाई द्वारा उन्हें भेजे गए पत्र द्वारा
पेशवा का आक्रमण का विचार त्याग देना, साधना से प्राप्त चैतन्यशक्ति का ही प्रभाव !

एक समय की बात है राघोबा पेशवा ने इंदौर पर आक्रमण कर, होलकर राज्य पर अधिकार करने की योजना बनाई । जब यह समाचार राजमाता अहिल्याबाई को मिला, तब उन्होंने राघोबा पेशवा को पत्र लिखा कि, ‘आप मुझसे लडाई में जीत भी गए, तो एक नारी से लडने में कौन-सा पुरुषार्थ है और यदि हार गए, तब तो एक नारी से पराजित होने के कारण आप विश्‍व में मुंह दिखाने योग्य नहीं रह पाएंगे । इसलिए, युद्ध करने से पहले विचार कर लीजिए । ‘यह पत्र पढकर राघोबा ने इंदौर पर आक्रमण करने का विचार त्याग दिया ।

 

२. भारत की वर्तमान दयनीय स्थिति ठीक करने के
लिए सब राज्यकर्ता महारानी अहिल्याबाई होलकर से प्रेरणा लें !

आजकल के भारत की दयनीय स्थिति देखने पर लगता है कि हमारे सभी राज्यकर्ताओं को अहिल्याबाई होलकर से प्रेरणा लेनी चाहिए । क्योंकि, आतंकवादी आक्रमण, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार, किसानों की समस्या, पर्यावरण प्रदूषण आदि अनेक भीषण समस्याओं के कारण मनुष्य का जीवन संकटों से घिर गया है । इन संकटों को दूर करने का उपाय किसी के पास नहीं है । इसका एक ही उपाय है, लोगों की चैतन्यशक्ति जगाना । इसके लिए प्रत्येक को ईश्‍वर की उपासना करनी पडेगी ।

 

३. साधक राजमाता अहिल्याबाई होलकर की भांति ईश्‍वर का स्मरण कर कार्य करें !

साधक धर्मप्रसार करते समय राजमाता अहिल्याबाई होलकर की भांति ईश्‍वर का स्मरण रखें और यह दृढ विश्‍वास करें कि वह सदैव हमारे साथ है । इस प्रकार कार्य करने से वह सफल होगा और आध्यात्मिक उन्नति भी होगी ।

जिस प्रकार राजमाता अहिल्याबाई होलकर अपने साथ शिव पिंडी निरंतर रखती थीं, उसी प्रकार साधकों को भगवान श्रीकृष्ण और परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले को निरंतर स्मरण करते हुए कार्य करना चाहिए । इससे, हमारी साधना अच्छी होगी और प्रत्येक कार्य सफल होगा ।’

– परमपूज्य परशराम पांडे, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल. (१.६.२०१७)

 

उदार अंत:करण और क्षात्रतेज से संपन्न हिन्दू प्रशासक : पुण्यश्‍लोक अहिल्याबाई होलकर

महेश्‍वर (जनपद खरगौन) में राजमाता अहिल्याबाई होलकर का स्मारक

मल्हारराव, इंदौर के होलकरों की सत्ता के संस्थापक थे । मल्हारराव की मृत्यु के पश्‍चात उनकी पुत्रवधू रानी अहिल्याबाई होलकर के हाथ में इंदौर की सत्ता आई । इन्होंने लगभग २८ वर्ष तक अच्छा शासन कर, उत्तर भारत में मराठा प्रशासन का गौरव बढाया । वे प्रजाहितैषी, कर्तव्यपरायण, चतुर तथा न्यायप्रेमी शासक थीं ।

ऐसी सुदृढ मन और शूर वृत्ति की अहल्याबाई सबके लिए आदर्श बनीं । दानवीर के रूप में सुप्रसिद्ध राजमाता अहिल्याबाई होलकर का निधन वर्ष १७९५ में हुआ ।

मध्यप्रदेश राज्य का महेश्‍वर (जनपद खरगौन) गांव होलकर राज्य की राजधानी थी । यहीं पर राजमाता अहिल्याबाई होलकर का राजभवन था । यहीं से वे राज्य चलाती थीं । उस स्थान के कुछ छायाचित्र….

राजभवन का प्रवेशद्वार
राजमाता अहिल्याबाई होलकर ने इसी राजभवन में रहकर २८ वर्ष तक उत्तम राज्य किया ।
यहीं पर उन्होंने प्रतिदिन पूजा के लिए भव्य शिवमंदिर बनवाया था ! यह मंदिर ‘अहिल्येश्‍वर महादेव का मंदिर’ के नाम से जाना जाता है । इस छायाचित्र में नर्मदा के तट पर राजमाता अहिल्याबाई होलकर का बनवाया हुआ घाट भी दिखाई दे रहा है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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