श्री समर्थ रामदासस्वामी के पदस्पर्श से पावन हुए ‘जांब’ क्षेत्र की जानकारी और कभी भी न रिक्त होनेवाले घी के गागर की विस्मयकारक कथा

 

१. श्री क्षेत्र जांबमाहात्म्य

‘श्री समर्थ रामदासस्वामी का जन्मस्थान श्री क्षेत्र जांब (तालुका घणसवंगी, जिला जालना) है । यहां समर्थ के घराने के रामपंचायतन और जिस हनुमान मंदिर में समर्थ को अनुग्रह मिला, वह हनुमान मंदिर है । श्री समर्थ विवाह के मंडप से भाग गए थे । वह स्थान यहां से ५ किलोमीटर पर स्थित आसनगांव में देखने मिलता है । जांब में निवास के लिए नि:शुल्क भक्तनिवास और प्रसाद की व्यवस्था है ।

 

२. समर्थ का चमत्कार – भव्य श्रीराम का भंडारा

श्रीक्षेत्र जांब में श्रीरामनवमी के अगले दिन, अर्थात चैत्र शुक्ल अष्टमी को श्रीराम का भंडारा होता है । तब गांव में ५-६ लाख भक्त एकत्र होते हैं । वे भगवान श्रीराम और श्री समर्थ की मूर्ति के दर्शन लेकर पावन होते हैं  । गांववाले भी ५-६ लाख लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं । गांववासी यात्रियों के निवास, स्नान और भोजन  की व्यवस्था अत्यंत ही उत्तम ढंग से और नि:शुल्क करते हैं । इसमें कहीं भी कमतरता नहीं दिखाई देती । यह समर्थ का चमत्कार ही है ।

कभी भी रिक्त न होनेवाली घी की गागर

 

३. कभी भी रिक्त (खाली) न होनेवाली और जिससे
आज भी घी निकलता हो, ऐसी विस्मयकारक घी की गागर !

समर्थ रामदासस्वामी के चरित्र में उल्लेखित घी की गागर श्रीक्षेत्र जांब के श्रीराम मंदिर में हमें देखने मिलती है । जिससे आज भी घी निकलता है । यह गागर कभी भी रिक्त नहीं होती । इस गागर के विषय में आगे दी गई सत्यघटना सुनने मिलती है ।

एक बार समर्थ रामदासस्वामीजी ने श्रीरामनवमी के निमित्त से भंडारे का आयोजन किया था । श्री समर्थ की कृपा से कहीं भी कुछ कम नहीं था । परंतु फिर एकाएक दाल-चावल पर परोसने के लिए देशी घी समाप्त हो गया ।

रामदासस्वामी महान योगी और तपस्वी थे । इसलिए अपनी योगसाधना से उनके लिए सब कुछ साध्य करना संभव था । उन्होंने एक गागर को रस्सी बांधकर नीचे कुंए में से पानी निकाला और सेवा करनेवालों से कहा, ‘‘इससे पंगत में बैठे लोगों को घी परोसो ।’’ सेवाकरी अचंभे में पड गए कि ‘पानी से घी कैसे परोसें ?’ तब समर्थ ने उनसे कहा, ‘‘मेरे श्रीराम देख लेंगे । आप घी परोसने जाओ ।’’ सेवेकरियों ने पंगत में बैठे लोगों को पानी, अर्थात घी परोसना आरंभ किया । तब उस गागर का पानी घी में परिवर्तित हो गया और सभी यात्रियों ने भोजन होने तक उस गागर का घी समाप्त नहीं हुआ । सर्व पंगत उठने पर समर्थ ने उस गागर का पानी पुन: कुएं में डालकर उसे खाली कर दिया, अर्थात समर्थ ने कुंए का पानी पुन: कुएं को लौटा दिया ।

आज भी रामनवमी के अगले दिन चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी को श्रीक्षेत्र जांब के राममंदिर में भंडारा होता है । उस समय प्रत्येक यात्री को संस्थान की ओर से इसी गागर से लगभग १०० ग्राम घी नि:शुल्क दिया जाता है । आश्‍चर्य की बात है कि इस गागर से कभी घी समाप्त नहीं होता है । हम यह चमत्कार वहां अष्टमी पर उपस्थित रहकर देख सकते हैं । यह समारोह अवर्णनीय और अलौकिक है ।’

– संदर्भ: ‘व्हाट्सएप’ पोस्ट से

2 thoughts on “श्री समर्थ रामदासस्वामी के पदस्पर्श से पावन हुए ‘जांब’ क्षेत्र की जानकारी और कभी भी न रिक्त होनेवाले घी के गागर की विस्मयकारक कथा”

    • Namaskar Shri. Pravinkumar ji,

      Can you share with us the reason behind the request for sansthan’s or guruji’s contact no.? Please specify which sansthan or guruji you are referring to?

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