दृष्टिहीन संत सूरदासजी की भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति के दर्शन !

‘सूरदासजी ने प्रभु श्रीकृष्ण की नित्यनूतन पदों से शब्दपूजा करने का अपना नित्यक्रम जारी रखा । एक दिन पुजारी, अर्चनक (पूजा करनेवाला) और गोस्वामी के बच्चों में सूरदासजी की अद्भुत प्रतिभा के बारे में चर्चा प्रारंभ हुई ।

कर्नाटक के श्रीसंस्थान हळदीपुर के मठाधिपती प.पू. श्री श्री वामनाश्रम स्वामीजी की साधकों के ध्यान में आईं गुणविशेषताएं !

‘हळदीपुर (जनपद उत्तर कन्नड), कर्नाटक के श्रीसंस्थान हळदीपुर के मठाधिपती प.पू. श्री श्री वामनाश्रम स्वामीजी ने १९.९.२०१९ को सनातन के रामनाथी आश्रम का अवलोकन किया ।

संत जनाबाई की श्रेष्ठ ईश्‍वरभक्ति दर्शानेवाले तथा भावविभोर करनेवाले अभंग !

जनाबाई स्वयं को ‘नामदेवजी की दासी’ कहलवाती थीं । विठ्ठलचरणी संपूर्ण जीवन समर्पित की हुईं जनाबाई ने देहभान भूलकर दिन-रात संत नामदेवजी के घर में सेवा की ।

मनुष्यजन्म का सार्थक करने का उपदेश देनेवाले संत नामदेवजी के अभंग (भक्तिगीत)

श्रीविठ्ठलजी की अनन्यभाव से भक्ति करनेवाले भक्तशिरोमणि संत नामदेव महाराज ! उनके स्मृतिदिवस के उपलक्ष्य में पंढरपुर के उनके निवास में स्थित विठ्ठलजी की भूर्तियों का भावपूर्ण दर्शन करेंगे ।

साधकों को ज्ञान देने की तडपवाले जगद्गुरु योगऋषी डॉ. स्वामी सत्यप्रकाशजी !

रामनाथी आश्रम में स्वामीजी ने योग, संगीत आदि विषयोंपर मार्गदर्शन किया । उन्हों ने किस विषयपर मार्गदर्शन करना है, यह स्वयं सुनिश्‍चित न कर उसे संबंधित साधकों के पूछ लिया ।

हिन्दु धर्मप्रसार हेतु जीवन का प्रत्येक पल व्यतीत करनेवाले नगर (महाराष्ट्र) के महायोगी गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी !

गुरुदेव डॉ. नारायणानंदनाथ काटेस्वामीजी उत्तरप्रदेश के महान संत धर्मसम्राट करपात्री स्वामीजी के शिष्य है ! गुरुदेव ने पुणे विद्यापीठ में ‘डॉक्टरेट’ की पदवी प्राप्त की थी । उन्होंने जीवन का अधिक समय हिमालय में व्यतीत किया ।

संंत भक्तराज महाराज के इंदौर, मोरटक्का और कांदळी आश्रमों में स्थित छायाचित्रजन्य स्मृतियां !

शिष्य के जीवन के अज्ञानरूपी अंधकार को अपने ज्ञानरूपी तेज से नष्ट करनेवाले श्रीगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है गुरुपूर्णिमा !

समर्थ रामदास स्वामी

माघ कृष्ण पक्ष नवमी को ‘रामदासनवमी’ पडती है ! रामदासस्वामी ने अपने जीवनकाल में अनेक अवसरों पर उपदेश किया था । वे केवल उपदेश नहीं करते थे, जीवों का उद्धार भी करते थे । रामदासनवमी के उपलक्ष्य में ऐसी ही एक घटना के विषय में आज हम जाननेवाले हैं ।