सनातन संस्था के ग्रंथ समाज को दिशादर्शक ! – मयुर घोडके, शिवसेना

श्री दुर्गामाता मंदिर के सामने सनातन द्वारा आयोजित ग्रंथप्रदर्शनी का अनावरण शिवसेना शहरप्रमुख श्री. मयुर घोडके के हाथों किया गया । उस समय उन्होंने यह वक्तव्य किया कि, ‘समाज को आज अध्यात्म तथा धर्म की अत्यंत आवश्यकता है ।

देवी का महत्त्व !

कुलदेवी, ग्रामदेवी, शक्तिपीठ आदि रूपों में देवी के विविध सगुण रूपों की उपासना की जाती है । हिन्दू संस्कृति में जितना महत्त्व देवता का है उतना ही महत्त्व देवी को भी दिया जाता है,

५१ शक्तिपिठों मेंसे एक श्रीक्षेत्र काशी (उत्तरप्रदेश) की श्री बंदीदेवी

श्रीक्षेत्र काशी के दशाश्वमेध किनारे पर श्री बंदीदेवी का मंदिर है । यह देवी ५१ शक्तिपिठों मेंसे एक है । देवी के दायी ओर वेणीमाधव, बायी ओर दो मारुति, अक्षत वड, वासुकी(नाग) तथा बीच में प्रयागेश्वर की प्रतिमा हैं ।

शक्तिदेवता !

इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !

झारखंड स्थित विश्वविख्यात श्री छिन्नमस्तिका देवी का अति प्राचीन मंदिर !

झारखंड की राजधानी रांची से ८० किलोमीटर दूर रामगढ जनपद के रजरप्पा गांव में श्री छिन्नमस्तिका देवी का विश्वविख्यात मंदिर है । भारत के अनेक प्राचीन मंदिरों में एक  यह मंदिर, भैरवी तथा दामोदर इन नदियों के संगम पर स्थित है ..

चंडीविधान (पाठ एवं हवन)

श्री दुर्गादेवी का एक नाम है चंडी । मार्कडेय पुराण में चंडी देवी का माहात्म्य बताया गया है, जिसमें उसके अवतारों का एवं पराक्रमों का विस्तार से वर्णन किया गया है ।

आद्याशक्ति

महाकाली ‘काल’ तत्त्व का, महासरस्वती ‘गति’ तत्त्व का एवं महालक्ष्मी ‘दिक्’ (दिशा) तत्त्व का प्रतीक है । काल के प्रवाह में सर्व पदार्थों का विनाश होता है ।

कुदृष्टि उतारने की पद्धति का अध्यात्मशास्त्रीय आधार एवं अनुभूतियां

प्रार्थना के कारण देवता के आशीर्वाद से कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति की देह के भीतर और बाहर के कष्टदायक स्पंदन अल्पावधि में कार्यरत होकर कुदृष्टि उतारने हेतु उपयुक्त घटकों में घनीभूत होकर, तदुपरांत अग्नि की सहायता से अल्पावधि में नष्ट किए जाते हैं ।

पितरों का ‘वार्षिक श्राद्ध’ और ‘पितृपक्ष में महालय श्राद्ध’ दोनों क्यों करना चाहिए ?

प्रत्येक कार्य विशिष्ट तिथि अथवा मुहूर्त पर करना विशेष लाभदायक है; क्योंकि उस दिन उन कर्मों का कालचक्र, उनका प्रत्यक्ष होना तथा उनका परिणाम, इन सभी के स्पंदन एक-दूसरे के लिए सहायक होते हैं ।

अखंड हरिनाम सप्ताह के उपलक्ष्य में कल्याण में सनातन संस्था की ग्रंथ तथा तथाफ्लेक्स प्रदर्शनी

श्री विठ्ठल-रुक्मिणी महिला भजनी मंडल की ओर से आयोजित अखंड हरिनाम सप्ताह के उपलक्ष्य में ९ तथा १० सितम्बर कोसनातन संस्था की ग्रंथ प्रदर्शनी तथा फ्लेक्स प्रदर्शनी आयोजित की गई थी ।