वटसावित्री व्रत एवं व्रतका उद्देश्य

सावित्रीको अखंड सौभाग्यका प्रतीक माना जाता है । सावित्री समान अपने पतिकी आयुवृद्धिकी इच्छा करनेवाली सुहागिनोंद्वारा यह व्रत किया जाता है । यह एक काम्यव्रत है । किसी कामना अथवा इच्छापूर्तिके लिए किया जानेवाला व्रत काम्यव्रत कहलाता है ।

मध्यप्रदेश में गणेशोत्सव के निमित्त सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा धर्मशिक्षा के माध्यम से प्रबोधन

 श्री गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर यहां के एसआरसी केबल पर सनातन संस्था निर्मित धार्मिक कृति के पीछे का शास्त्र और ईश्‍वरप्राप्ति हेतु अध्यात्मशास्त्र सत्संग श्रृंखला का प्रसारण किया जा रहा है । दिन में दो बार इस सत्संग श्रृंखला का प्रसारण होता है ।

सूर्य षष्ठी (छठ) पूजा

हमारे देशमें सूर्योपासनाके लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ । मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होनेके कारण इसे छठ कहा गया है । यह पर्व वर्षमें दो बार मनाया जाता है ।

अनंत चतुर्दशी

व्यावहारिक इच्छापूर्तिके उद्देश्यसे किए जानेवाले व्रतको ‘काम्य व्रत’ कहते हैं । श्रद्धाभावसे किया गया व्रत व्यक्तिको संतुष्टि प्रदान करता है एवं आगे व्रती निष्कामताकी ओर बढने लगता है ।

ज्येष्ठा गौरी

श्री महालक्ष्मी गौरीने भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन असुरों का संहार कर शरण में आईं स्त्रियों के पतियों को तथा पृथ्वी के प्राणियों को सुखी किया ।

ऋषिपंचमी

‘जिन ऋषियोंने अपने तपोबल से विश्‍व के मानव पर अनंत उपकार किए हैं, जीवन को उचित दिशा दी है । उन ऋषियों का इस दिन स्मरण किया जाता है ।

हरितालिका

अनुरूप वर की प्राप्ति के लिए विवाहयोग्य कन्याएं हरितालिका व्रत करती हैं, तो सुुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए सुहागन स्त्रियां भी यह व्रत करती हैं ।

श्राद्ध में पितरों तथा देवताओं को नेवैद्य दिखाना

दर्भ पर पितरों के लिए पिंड रखने पर, इससे निकलनेवाली तेजतत्वयुक्त तरंगों से लिंगदेह के सर्व ओर स्थित कालीशक्ति का विघटन होता है । तब, उस अन्न से लिंगदेह सहजता से सूक्ष्म-वायु ग्रहण कर पाती है ।

सनातन संस्था के कार्य को निश्चित रुप से सहकार्य करेंगे ! – श्रीमती शशिकला बत्तुल, उपमहापौर, सोलापुर

दत्त चौक में सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित किए गए ग्रंथ तथा सात्त्विक उत्पादनों की प्रदर्शनी धर्मरथ में आयोजित की गई थी । इस धर्मरथ को उपमहापौर श्रीमती शशिकला बत्तुल ने भेंट दी ।

व्रत करते समय व्रताचार के संदर्भ में ध्यान रखने योग्य बातें

सारणी १. व्रतको सोच-समझकर अंगीकार करना आवश्यक है २. व्रतका यथार्थ पालन आवश्यक है ३. आरंभ किया व्रत पूर्ण करना आवश्यक है ३.१ स्नानसंबंधी नियम ३.२ वस्त्र एवं अलंकार धारण करनेसंबंधी नियम ३.३ आचमनसंबंधी नियम ३.४ देवतापूजनसंबंधी नियम ३.५ आहारसंबंधी नियम ४. व्रतीके लिए वर्ज्य बातें ५. व्रतकालमें व्रतीद्वारा अपेक्षित गुणोंका पोषण ६. व्रतीके लिए … Read more