परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीका जन्म, आध्यात्मिक वृत्तिसम्पन्न परिवार, और शिक्षा तथा छात्र जीवनमें किया कार्य

होनहार बिरवान के, होत चीकने पात इस उक्ति के अनुसार परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का जन्म ६ मई १९४२ को श्री. बाळाजी वासुदेव आठवलेजी और श्रीमती नलिनी बाळाजी आठवलेजी के परिवार में हुआ । आगे वे दोनों संतपद पर विराजित हुए ।

प.पू. दादा महाराज झुरळे

१. वात्सल्यपूर्ण वाणी से अध्यात्म सिखानेवाले प.पू. दादा महाराज झुरळे ! वर्ष १९८३ में अध्यात्म में जिज्ञासा जागृत होने के पश्चात मैं अध्यात्म समझने के लिए अनेक सन्तों के पास जाता था । उनमें से एक थे प.पू. दादा महाराज झुरळे । उन्हें मैं दादा कहता था । मैं दादा के पास अध्यात्म सीखने के … Read more

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन द्वारा विविध क्षेत्रों में किया आध्यात्मिक शोध

अनिष्ट शक्ति, घरों में हुए परिवर्तन और दैवीकणों से संबंधित सैकडों संदर्भ सनातन ने दृश्य-श्रव्य चक्रिकाओं में उपलब्ध करवा दिए हैं । इस शोधकार्य में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय से भी सहायता मिल रही है । यह शोध अब महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के जालस्थल (वेबसाइट) पर प्रकाशित किए गए हैं ।

सभी साधकों की विविध प्रकार से उन्नति हो, इसलिए अपार परिश्रम करनेवाले हमारे परम पूज्य डॉक्टरजी !

वर्ष १९९० में शीव (मुंबई) आश्रम में मुझे प.पू. डॉक्टरजी के दर्शन हुए । उस समय सेवा के निमित्त आश्रम में मेरा आना-जाना लगा रहता था । इसके उपरांत मुझे आश्रम में पूर्णकालीन रहने का सौभाग्य मिला ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव निमित्त…

प.पू. डॉक्टरजी हिन्दू धर्म की ग्लानि दूर करने के लिए ग्रंथ, नियतकालिकों के माध्यम से. निरंतर मागदर्शन करते रहते हैं । प्रत्येक साधक को मोक्षप्राप्ति हो, ऐसा ही मार्गदर्शन वे करते रहते हैं ।

गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी की सनातन पर कृपादृष्टि !

सनातन को अनिष्ट शक्तियों से होनेवाले कष्ट और हिन्दू धर्म के प्रचार में उनके द्वारा उत्पन्न की जानेवाली बाधाएं दूर होने के लिए गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी ने वर्ष २००४ से उनके देहत्याग तक जप, हवन, सप्तशतिपाठ आदि कर्म किए ।

पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में श्रीलंका के श्री. मरवनपुलावू सच्चिदानंदनजी ने प्राप्त किया ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर

रामनाथी (गोवा) – गत चतुर्थ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में श्रीलंका के हिन्दुआें की रक्षा के लिए लगन से कार्य करनेवालेे श्रीलंका के श्री. सच्चिदानंदनजी का ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर घोषित किया गया था । पांचवे अधिवेशन में धर्मबंधुत्व की भावना रखनेवाले और वृद्धावस्था में भी हिन्दुआें की सुरक्षा के लिए कार्यरत श्री. सच्चिदानंदनजी का आध्यात्मिक स्तर ६४ प्रतिशत घोषित किया गया । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू.(डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी के करकमलों से पुष्पहार पहना कर और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा भेंट देकर श्री. मरवनपुलावू सच्चिदानंदनजी का सत्कार किया गया ।

पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में ओडीशा के प्रेम प्रकाश कुमार ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में २२ जून को सायंकालीन सत्र में श्री. प्रेम प्रकाश कुमारजी का आध्यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत घोषित किया गया । सनातन संस्था के धर्मप्रसारसेवक पू. नंदकुमार जाधवजी के करकमलों से भगवान श्रीकृष्ण की सनातन-निर्मित प्रतिमा और पुष्प देकर उनका सत्कार किया गया ।

हिन्दू संस्कृति संवर्धन हेतु अमूल्य योगदान देनेवाले प्रा. शिवकुमार ओझा ने प्राप्त किया ६२ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के दूसरे दिन हिन्दू संस्कृति संवर्धन हेतु अमूल्य योगदान देनेवाले प्रा. शिवकुमार आेझा (आयु ८३ वर्ष ) ने ६२ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करने की आनंदवार्ता सभी को दी गई । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा देकर प्रा. आेझा का सम्मान किया गया ।

विविध संतों द्वारा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का किया गया सम्मान !

संतों का कार्य आध्यात्मिक (पारलौकिक) स्तर का होने से लौकिक सम्मान एवं पुरस्कारों के प्रति उनमें कोई आसक्ति नहीं होती । अपितु मनोलय एवं अहं का लय होने से वे सामाजिक प्रतिष्ठा को प्राप्त करनेवाले सम्मान एवं पुरस्कार के परे जा चुके होते हैं । ऐसा होनेपर भी केवल संत ही संत की पहचान कर सकते हैं और उनको ही अन्य संतों के कार्य का महत्त्व समझ में आता है ।