परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की देह तथा उनके उपयोग में अंतर्भूत वस्तुओं पर गुलाबी आभा आना
‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी की त्वचा, नख एवं केश जिस प्रकार पीले हो रहे हैं, उसके साथ ही उनकी आंखों का अंदरूनी भाग, हाथ-पैर के अंदरूनी भाग, तथा जीभ और होंठ भी गुलाबी हो रहे हैं । यह परात्पर गुरु डॉक्टरजी में व्याप्त ईश्वर की सर्वव्यापक प्रीति के रंग का आविष्कार है ।