सभी साधकों की विविध प्रकार से उन्नति हो, इसलिए अपार परिश्रम करनेवाले हमारे परम पूज्य डॉक्टरजी !
वर्ष १९९० में शीव (मुंबई) आश्रम में मुझे प.पू. डॉक्टरजी के दर्शन हुए । उस समय सेवा के निमित्त आश्रम में मेरा आना-जाना लगा रहता था । इसके उपरांत मुझे आश्रम में पूर्णकालीन रहने का सौभाग्य मिला ।