साधना की दृष्टि से १४ विद्या और ६४ कलाआें की शिक्षा का बीजारोपण करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शनानुसार ‘ईश्‍वरप्राप्ति हेतु कला’ यह ध्येय सामने रखकर अनेक साधक चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, नृत्यकला, वास्तुविद्या आदि कलाआें के माध्यम से साधना कर रहे हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीका जन्म, आध्यात्मिक वृत्तिसम्पन्न परिवार, और शिक्षा तथा छात्र जीवनमें किया कार्य

होनहार बिरवान के, होत चीकने पात इस उक्ति के अनुसार परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का जन्म ६ मई १९४२ को श्री. बाळाजी वासुदेव आठवलेजी और श्रीमती नलिनी बाळाजी आठवलेजी के परिवार में हुआ । आगे वे दोनों संतपद पर विराजित हुए ।

मैं हूं… सनातन की ग्रंथसंपदा.. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का धर्मदूत !

सनातन के रजत महोत्सव के निमित्त सनातन की ग्रंथसंपदा का अद्वितीयत्व दर्शानेवाला यह लेख…

प.पू. दादा महाराज झुरळे

१. वात्सल्यपूर्ण वाणी से अध्यात्म सिखानेवाले प.पू. दादा महाराज झुरळे ! वर्ष १९८३ में अध्यात्म में जिज्ञासा जागृत होने के पश्चात मैं अध्यात्म समझने के लिए अनेक सन्तों के पास जाता था । उनमें से एक थे प.पू. दादा महाराज झुरळे । उन्हें मैं दादा कहता था । मैं दादा के पास अध्यात्म सीखने के … Read more

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन द्वारा विविध क्षेत्रों में किया आध्यात्मिक शोध

अनिष्ट शक्ति, घरों में हुए परिवर्तन और दैवीकणों से संबंधित सैकडों संदर्भ सनातन ने दृश्य-श्रव्य चक्रिकाओं में उपलब्ध करवा दिए हैं । इस शोधकार्य में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय से भी सहायता मिल रही है । यह शोध अब महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के जालस्थल (वेबसाइट) पर प्रकाशित किए गए हैं ।

प.पू. डॉक्टरजी के कक्ष में रखे प.पू. भक्तराज महाराजजी के छायाचित्र में जनवरी २०१६ में हुए परिवर्तन

प.पू. डॉक्टरजी के कक्ष में रखे प.पू. भक्तराज महाराजजी के छायाचित्र में जनवरी २०१६ में मुख श्‍वेतसा पीला व जरासा अस्पष्ट होना, निर्गुण तत्त्व की ओर होते मार्गक्रमण का दर्शक है । अनिष्ट शक्तियों के साधकों पर होते आक्रमण का सामना करने हेतु निर्गुण तत्त्व बढा है ।

आध्यात्मिक पहेली

अधिकांश नियतकालिकों में शब्दपहेलियां होती हैं । वे बौद्धिक स्तर की होती हैं । यहां एक मानसिक स्तर की पहेली दी है । अत: इससे मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक स्तर की पहेलियों में भिन्नता ध्यान में आएगी ।

मेनराय दंपति – सनातन की एक आदर्श दंपति !

पूज्य भगवंत मेनराय और पूज्य सूरजकांता मेनराय का कुछ महीनों से सनातन के रामनाथी, गोवा आश्रम में निवास रहा है । आश्रम में नए होकर भी वे आश्रमजीवन से शीघ्र एकरूप हो गए हैं । मेनराय पती-पत्नी के अनेक सद्गुणों का हुआ दर्शन इस लेख में शब्दबद्ध किया है ।

सभी साधकों की विविध प्रकार से उन्नति हो, इसलिए अपार परिश्रम करनेवाले हमारे परम पूज्य डॉक्टरजी !

वर्ष १९९० में शीव (मुंबई) आश्रम में मुझे प.पू. डॉक्टरजी के दर्शन हुए । उस समय सेवा के निमित्त आश्रम में मेरा आना-जाना लगा रहता था । इसके उपरांत मुझे आश्रम में पूर्णकालीन रहने का सौभाग्य मिला ।