कोरोना के लिए उपयुक्त औषधियां

यदि ऑक्सीजन की मात्रा कम हो तो, आरंभ में कार्बोवेज २०० की २ बूंदें हर २ घंटे में और बाद में २ बूंदें दिन में ३ बार लें । आरंभ में ऐस्पिडोस्पर्मा Q की १० बूंदें पाव कप पानी में हर २ घंटे में और बाद में दिन में १० बूंदें ३ बार लें । ये दोनों औषधियां लें ।

भारतीयों ‘अग्निहोत्र का महत्त्व ध्यान में रख प्रतिदिन ‘अग्निहोत्र’ करें !

‘कोरोना विषाणु का जगभर संसर्ग होने से समस्या निर्माण हो गई है । इस विषाणु का संसर्ग टालने के लिए हमें बार-बार हाथ धोना, सोशल डिस्टन्सिंग (सामाजिक अंतर) जैसे नियम पालने चाहिए । ऐसा कहते हैं कि अपनी भारतीय परंपरा में अग्निहोत्र करने से वातावरण की शुद्धि होती है । इस विषाणु का संसर्ग अभी … Read more

बहुगुणी भीमसेनी आयुर्वेदीय कपूर !

‘पुदिना के फूल, अजवायन के फूल एवं भीमसेनी कपूर, तीनों को सम मात्रा में एकत्र करने पर कुछ समय पश्चात उसका तेल में रूपांतर होता है । इस तेल को ‘अमृतधारा तेल’ कहते हैं । यह तेल गठिया पर अत्यंत उपयुक्त है ।’

कालमेघ वनस्पति और विकारों में उसके उपयोग

कालमेघ वनस्पति संक्रामक रोगों के लिए अत्यंत उपयुक्त है । यह बहुत ही कडवी होती है । इसका उपयोग ज्वर और कृमियों के लिए किया जाता है । यह सारक (पेट को साफ करनेवाली) होने से कुछ स्थानों पर वर्षा ऋतु में और उसके उपरांत आनेवाली शरद ऋतु में सप्ताह में एक बार इसका काढा पीने की प्रथा है । इससे शरीर स्वस्थ रहता है ।

नि:शुल्क; परंतु बहुमूल्य आयुर्वेदीय औषधियां : सेमल के फूल एवं मक्के के भुट्टे के केश (बाल)

पुणे के श्री. अरविंद जोशी नामक एक सद्गृहस्थ हैं जो विविध भारतीय उपचारपद्धतियों का अभ्यास करनेवाले हैं । उन्होंने अपनी शोध वृत्ति से इन फूलों का औषधीय गुणधर्म ढूंढा और अनेकों को उससे लाभ हुआ । उनके पास इसके अनेक उदाहरण हैं । उनका एक लेख पढकर मैंने भी कुछ रोगियों को ये फूल दिए, तो ध्यान में आया कि उन्हें भी बहुत लाभ हुआ है ।

छोटे बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होने हेतु आयुर्वेद के निम्न उपचार करें !

प्रत्येक अभिभावक के मन में छोटे बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाने के विषय में जिज्ञासा रहती है । रोगप्रतिरोधक शक्ति अच्छी रहने के लिए शरीर का बल और पाचनशक्ति उत्तम होना आवश्यक है ।

लकडी कोल्हू का आरोग्यदायी तेल !

लकडी के कोल्हू का तेल अत्यंत शुद्ध, रसायनविरहित एवं आरोग्य के लिए हितकारक होता है, इसके साथ ही वह प्राकृतिक एवं शास्त्रोक्त पद्धति से निर्माण किया जाता है । उसे शुद्ध तेल की गंध आती है और वह चिपचिपा भी होता है; कारण उसमें ४-५ प्रकार के जीवनसत्त्व होते हैं । लकडी के कोल्हू से तेल निकालने में अत्यल्प घर्षण होने से उसमें से एक भी प्राकृतिक घटक नष्ट नहीं होता ।

कोरोना का बुखार एवं उसके लिए किए जानेवाले आयुर्वेदीय उपचार

बुखार आना आरंभ होने पर लंघन करें (भूखे रहें), बुखार में पाचनशक्ति बढानेवाली औषधियां दें, बुखार उतरना आरंभ हो, तो समूल नष्ट होने तक औषधि दें और बुखार आना पूर्णरूप से रुकने पर विरेचन (दस्त की औषधि) दें, ऐसा बताया गया है ।

‘म्युकरमाइकोसिस’ अथवा ‘ब्लैक फंगस’ रोग के लक्षण और उस पर होमियोपैथिक औषधियों के उपचार !

‘ब्लैक फंगस’ एक प्रकार की फफूंद है तथा वह घासफूस तथा प्राणियों के गोबर के स्थान पर दिखाई देती है । इसका बीज हवा से वातावरण में फैलता है और श्‍वास द्वारा हमारी नाक में जाता है । हमारी प्रतिरोधक शक्ति अच्छी हो, तो हमारे शरीर पर उसका परिणाम नहीं होता ।