शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य की देखभाल ऐसे करें !
शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्य अर्थात सुखसंवेदना अनुभव करने की अवस्था अर्थात स्वास्थ्य ।
शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्य अर्थात सुखसंवेदना अनुभव करने की अवस्था अर्थात स्वास्थ्य ।
‘सर्दियों में ठंडी एवं शुष्कता बढ जाती है । उनका योग्य प्रतिकार न करने से विविध विकार होते हैं । इनमें से बहुतांश विकार तेल का उचित उपयोग एवं गर्म सिकाई करने से नियंत्रण में आते हैं ।
कई बार कुछ लोगों को बहुत थकान लगती है। शरीर में कमजोरी का इलाज करने हेतू आगे दिए क्रम से प्राथमिक उपचार करें ।
पेट में तीव्र वेदना एवं एक से अधिक उलटी हुई हों, तो पेट के गंभीर विकार होने की संभावना है। ऐसे रोगी को पानी पीना भी धोकादायक हो सकता है ।
अब जग में आयुर्वेद को भारी मात्रा में मान्यता मिल रही है, इसलिए अब भारतीयों को भी अपनी आंखें खोलकर देखने का समय आ गया है । उसके लिए अनेक रोगों पर उपयुक्त कुछ वनस्पतियां अथवा फलों का उपयोग यहां देखेंगे ।
समाप्ति तिथि एवं शार्ङ्गधर संहिता में दिए हीनवीर्यता के काल में बहुत अंतर है ।
दोपहर के भोजन के उपरांत तुरंत ही अथवा दोपहर के भोजन के डेढ घंटे में दी हुई औषधि का परिणाम हृदय पर, इसके साथ ही समस्त शरीर पर होता है
हृदरोग, दमा, खांसी पर पुष्कर मूल का चूर्ण शहद के साथ लें । बकुली के फूलों का हार पहनें, इसके साथ ही बकुली के छाल का काढा पीएं ।
गर्मियों के महीने में अपनी त्वचा की अच्छी देखभाल करने से गर्मियों में होनेवाली हानि टाल सकते हैं । इससे अपनी त्वचा को दीर्घकाल दागमुक्त एवं युवा रखने में सहायता होगी । इस विषय में कुछ सूचनाएं यहां दे रहे हैं ।
जांघ, कांख, नितंब (कुल्हे) इत्यादि भागों पर जहां पसीने से त्वचा गीली रहती है, वहां कई बार खुजली होने लगती है । फिर छोटी-छोटी फुंसियां आ जाती हैं जो गोलाकार में फैलती जाती हैं और उससे चकत्ते चकंदळे निर्माण होते हैं । इन चकत्तों के किनार उभरे, लालिमा एवं फुंसियों से युक्त और केवल मध्यभाग में सफेद एवं रूसीयुक्त दिखाई देते हैं ।