आम्लपित्त : आजकल की बडी समस्या एवं उस पर उपाय !

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१. आम्लपित्त का कष्ट जिन्हें है उनका अपने
मन से ही औषधि लेने के कारण उन्हें विविध शारीरिक कष्ट होना

अपने आसपास आम्लपित्त (एसिडिटी) का कष्ट जिन्हें है ऐसे ४-५ लोग तो होते ही हैं । ऐसा अनेक बार देखा गया है कि आम्लपित्त के रोगी पित्त की औषधियां अपने ही मन से अनेक वर्षाें से ले रहे हैं । उसमें ‘प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स’ इस वर्ग में आनेवाली औषधियां सर्वाधिक मात्रा में ली जाती हैं । ये औषधियां बिना वैद्यकीय परामर्श के अधिक काल तक लेने से किडनी के विविध रोग जैसे किडनी निष्क्रिय होना, विविध हृदयविकार, हड्डियां कमजोर होकर अस्थिभंग होना, इसप्रकार की गंभीर समस्याएं निर्माण हो सकती हैं । इन गोलियों के साथ ही रोगी ‘डोमपेरिडोन’ नामक औषधि भी अपने ही मन से बारंबार लेते हए दिखाई देते हैं । स्त्रियों में ‘डोमपेरिडोन’के कारण ‘प्रोलैक्टिन’ नामक हॉर्मोन की मात्रा में वृद्धि होने से माहवारी अनियमित हो सकती है । इसलिए ये औषधियां आधुनिक वैद्यों के परामर्श के बिना लेना टालना चाहिए ।

 

२. आम्लपित्त दूर करने के लिए किए जानेवाले उपाय !

डॉ. शिल्पा चिटणीस-जोशी

आम्लपित्त के कष्ट के पीछे के कारणों का तज्ञों की सहायता से शोध लेकर उनपर कायमस्वरूपी उपचार करना अत्यावश्यक है । इसके लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने की तैयारी होनी चाहिए । अधिक बार थोडा-थोडा खाना, खाने के उपरांत तुरंत ही न बैठना, अधिक मिर्च-मसालेदार पदार्थाें का अल्प मात्रा में सेवन करना, तंबाखू एवं अल्कोहोल का सेवन टालना, नियमित व्यायाम कर वजन अल्प रखना, मानसिक तनाव कम करने के लिए प्रयत्न करना आदि बातों से बहुत लाभ हो सकता है । खाली पेट पानी (गरम नहीं) पीने से भी लाभ हो सकता है ।

 

३. छाती में जलन होने लगे तो लौंग, अदरक, दालचीनी,
मठ्ठा, जीरा, सौंफ, ठंडा दूध एवं नारियल पानी का सेवन करें !

अन्ननलिका एवं जठर में एक वाल्व (मुडनेवाला द्वार जो केवल एक ओर खुलता है ।) जठर में आम्ल की मात्रा बढने से यह वाल्व बंद हो जाता है एवं आम्ल को ऊपर अन्ननलिका में नहीं आने देता । आम्लपित्त होने का एक कारण जठर में आम्ल अल्प होना भी हो सकता है । इससे अन्ननलिका एवं जठर में वाल्व पूर्णरूप से बंद नहीं होता एवं आम्ल अन्ननलिका से ऊपर आने पर छाती में जलन होने लगती है । ऐसे समय पर आम्लपित्त के लिए लौंग, अदरक, दालचीनी, मठ्ठा, जीरा, सौंफ, ठंडा दूध, नारियलपानी जैसे पदाथों का सेवन लाभदायक हो सकता है । सतत गोलियां लेने की अपेक्षा यह उत्तम एवं सुरक्षित है ।

आम्लपित्त का कष्ट जिन्हें अधिक है वे जठर एवं अंतडियों के विकारों के विशेषज्ञों का परामर्श समय पर लेना उत्तम होगा !

– डॉ. शिल्पा चिटणीस जोशी, स्त्रीरोग एवं वंध्यत्व (बांझपन) विशेषज्ञ, कोथरूड, पुणे

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