विकार-निर्मूलन हेतु रिक्त गत्ते के बक्सों से उपचार

रिक्त बक्से में रिक्ति होती है । इस रिक्ति में आकाशतत्त्व होता है । आकाशतत्त्व के कारण आध्यात्मिक उपचार होते हैं । आध्यात्मिक उपचारों के लिए बक्से का उपयोग करने से व्यक्ति के देह, मन तथा बुद्धि पर आया कष्टदायक शक्ति का आवरण, तथा व्यक्ति में विद्यमान कष्टदायक शक्ति बक्से की रिक्ति में खिंचकर नष्ट हो जाती है ।

सदैव निरोगी रहने के लिए नारियल तेल का उपयोग करें !

यदि प्रत्येक व्यक्ति नारियल तेल को अपने जीवन का अविभाज्य अंग बना ले, तो दूसरी किसी भी औषधि की आवश्यकता नहीं लगेगी

सूचीदाब (Acupressure)

वर्तमान कलियुगके रज-तमात्मक वातावरणमें जन्म लेनेवाले प्रत्येक जीवमें कोई-न-कोई विकार होता ही है । किसीके भी मनमें यह प्रश्‍न उठ सकता है कि ‘विकार दूर करनेके ‘एलोपैथी’, ‘होमियोपैथी’ समान आधुनिक तथा प्राचीन आयुर्वेद उपचारपद्धति उपलब्ध होनेपर भी, ‘सूचीदाब (एक्यूप्रेशर)’ उपचारपद्धति क्यों आवश्यक है ।’

प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन यदि ३० मिनटोंतक ‘मृत संजीवनी मुद्रा’ की, तो उससे उसका हृदय सशक्त होकर अकालीन आनेवाले हृदयघात का झटका (हार्ट अटैक) आने की मात्रा घटेगी !

प्रत्येक व्यक्ति यदि अपने हाथ की तर्जनी की नोक का तलुवे से स्पर्श करें तथा अंगूठा, मध्यमा और अनामिका इन उंगलियों की नोकों को एक-दूसरे से लगाएं और यह मृत संजीवनी मुद्रा प्रतिदिन ३० मिनटोंतक करती है, तो उससे उसका हृदय सशक्त रहेगा ।

गमले में पौधा कैसे लगाएं और उसकी देखभाल कैसे करें ?

अतः आगामी भीषण आपातकाल में अल्प मूल्य की बहुगुणी विविध औषधीय वनस्पतियां सहजता से उपलब्ध हों, इसके लिए उन्हें अभी से घर के आसपास अथवा खेत में रोपना आवश्यक है

घरके पिछवाडे अथवा बगीचे में लगाई जानेवाली औषधीय वनस्पतियां

अनेक औषधीय वनस्पतियों का साग अच्छा बनता है । कुछ औषधीय पौधों में फल भी लगते हैं । कुछ कंदवर्गीय वनस्पतियों के कन्द पेट भरने के लिए भी खाए जा सकते हैं ।

घर के बरामदे (बालकनी) में भी लगाए जाने योग्य कुछ चयनित औषधीय वनस्पतियां और उनका व्यापक उपयोग

जो लोग सदनिकाआें (फ्लैट्स) अथवा किराए के घरों में रहते हैं वे निम्नांकित १० वनस्पतियां गमलों में अथवा प्लास्टिक की थैलियों में रोपकर, घर के बरामदे में रख सकते हैं ।

औषधीय वनस्पतियों का रोपण साधना के रूप में करें !

औषधीय वनस्पतियों के आसपास का वातावरण जितना सात्त्विक होगा, उतनी वे अधिक सात्त्विक बनती हैं । जितना सत्त्वगुण अधिक हो, उतना ही वनस्पतियोंके औषधीय गुण भी बढते हैं ।