विकार-निर्मूलन हेतु रिक्त गत्ते के बक्सों से उपचार

संत-महात्मा, ज्योतिषि आदि के मतानुसार आपातकाल प्रारंभ हो चुका है । इस भीषण आपातकाल में समाज को अनेक आपदाओं का सामना करना पडेगा । आपातकाल में अपनी तथा अपने परिजनों की रक्षा करना, यह एक बडी चुनौती होती है । आपातकाल में यातायात के साधनों के अभाववश रोगी को चिकित्सालय पहुंचाना, डॉक्टर अथवा वैद्य से संपर्क करना और बाजार से औषधियां प्राप्त करना कठिन होता है । आपातकाल का सामना करने की सिद्धता के एक भाग के रूप में ‘आगामी आपातकाल में संजीवनी की भांति कार्य करनेवाली ग्रंथमाला’ प्रकाशित कर रहे हैं । ३१.७.२०१७ तक इस ग्रंथमाला में अंतर्भूत १७ ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं । इस ग्रंथमाला का ‘विकार-निर्मूलन हेतु रिक्त गत्ते के बक्सों से उपचार (२ भाग) इस ग्रंथ का परिचय लेखों द्वारा करवा रहे हैं । विस्तृत विवरण ग्रंथ में दिया है । इस ग्रंथ के दोनों भाग पाठक अवश्य संग्रहित करें ।

‘गत्ते के रिक्त बक्सों से उपचार’ यह ग्रंथ केवल आपातकाल की दृष्टि से ही नहीं, तो सदा के लिए भी उपयुक्त है ।’ – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले

प्रस्तावना

रिक्त बक्से में रिक्ति होती है । इस रिक्ति में आकाशतत्त्व होता है । आकाशतत्त्व के कारण आध्यात्मिक उपचार होते हैं । आध्यात्मिक उपचारों के लिए बक्से का उपयोग करने से व्यक्ति के देह, मन तथा बुद्धि पर आया कष्टदायक शक्ति का आवरण, तथा व्यक्ति में विद्यमान कष्टदायक शक्ति बक्से की रिक्ति में खिंचकर नष्ट हो जाती है । विकारों का मूल कारण ही नष्ट हो जाने से विकार भी शीघ्र नष्ट होने में सहायता होती है ।

बक्सों के उपचार, एक अत्यंत सरल तथा बंधनरहित उपचार-पद्धति है । ग्रंथ के पहले भाग में बक्सों का शास्त्रीय महत्त्व बताने के साथ ही बक्सों के शरीर पर उपचार करने के विविध स्थान, बक्सा बनाने की पद्धति आदि का भी विवेचन किया है । ग्रंथ के दूसरे भाग में विकारों के अनुसार विशिष्ट नाप के बक्सों का उपयोग करना; बक्सों के उपचार करने की पद्धति; दैनिक कामकाज, पढाई इत्यादि करते समय भी बक्सों के उपाय करना, जैसे विषयों पर मार्गदर्शन किया है । आजकल रात में बहुत लोगों को शांत निद्रा नहीं आती । शांत निद्रा के लिए सहायक होनेवाले बक्सों के उपचार कैसे करने चाहिए, इसका विवेचन भी इस भाग में किया है । बक्सों के उपचार करते समय नामजप तथा मुद्रा अथवा न्यास करने से उपचारों की फलोत्पत्ति बढती है । इसलिए ग्रंथ के दूसरे भाग में यह भी बताया है । ‘बक्सों के उपचार कर अधिकाधिक रोगी शीघ्र विकारमुक्त हों’, यह श्री गुरुचरणों में व विश्वपालक श्रीनारायण के चरणों में प्रार्थना है !’

१. गत्ते के बक्सों संबंधी सामान्य जानकारी

१ अ. कौन से आकार के बक्से का उपयोग करें ?

१ अ १. बक्से के नाप संबंधी दृष्टिकोण

अ. मानव शरीर पृथ्वी, आप, तेज, वायु तथा आकाश इन पंचतत्त्वों से (पंचमहाभूतों से) बना है । इन पंचतत्त्वों का शरीर में संतुलन बिगड जाए, तो शरीर में विकार उत्पन्न होते हैं । विकार पंचतत्त्वों में से जिस तत्त्व से संबंधित है, उस तत्त्व से संबंधित नाप के बक्से का उपयोग करने पर यदि उस विकार का १०० प्रतिशत निर्मूलन होता है, तो सभी पंचतत्त्वों से युक्त अर्थात सामान्यतः किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग किए जानेवाले बक्से से उस विकार का ७० प्रतिशत निर्मूलन होगा । विशिष्ट पंचतत्त्व से संबंधित बक्से के विशिष्ट नाप ग्रंथ में दिए हैं । इस लेखांक में केवल सामान्यतः किसी भी उद्देश्य से उपयोग में लाने के बक्से का नाप दिया है ।

किसी को विविध विकारों के अनुसार विविध नाप के बक्से बनाना संभव न हो, तो वह सामान्यतः किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग किए जानेवाले बक्से का प्रयोग कर सकता है ।

१ अ २. सामान्यतः किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग किए जानेवाले बक्से का नाप

१ अ २ अ. बक्से की लंबाई, चौडाई एवं गहराई (ऊंचाई) का अनुपात (गुणोत्तर) – १० : ७ : ६

१ अ २ आ. बक्से का सामान्य नाप : २५ सें.मी. लंबा X १७.५ सें.मी. चौडा X १५ सें.मी. गहरा (ऊंचा) (आकृति ‘१’ देखें)

उपरोक्त नाप से १० प्रतिशत न्यूनाधिक आकार के तैयार (रेडीमेड) बक्से का उपयोग कर सकते हैं । (बक्सा बनाने का सचित्र विवरण ग्रंथ में दिया है ।)

१ अ ३. बडे तथा छोटे बक्से की उपयुक्तता

अ. बडा बक्सा : अपने सर्व आेर बक्से रखकर उपचार करना, सोते समय बिस्तर के सर्व आेर बक्से रखना आदि के लिए बडे (सामान्य नाप के अथवा उससे बडे) बक्सों का उपयोग करें ।

आ. छोटा बक्सा : यात्रा करते समय बक्से के उपचार करना, बक्सों का शिरस्त्राण (हेल्मेट) बनाना आदि के लिए छोटे बक्सों का उपयोग करें ।

१ अ ४. ‘बक्सा किस आकार का है’ इसकी अपेक्षा ‘बक्से का उपयोग करने का मूल भाव’ महत्त्वपूर्ण !

भाव रखने से किसी भी आकार के बक्से से उपचार होते हैं । तब भी उपचार के लिए भाव के साथ उचित आकार के बक्से का उपयोग करने पर उपचार की फलोत्पत्ति निश्चित ही अधिक होती है ।

१ आ. बक्सा यथासंभव श्वेत रंग का हो !

१ इ. बक्से की रिक्ति का महत्त्व अधिक होकर ‘बक्सा किस से बना है’, इसका महत्त्व गौण होना

आपातकाल में कभी बक्स का उपयोग करना संभव न हो, तो बालटी, पतीली, डिब्बा जैसे घर में उपलब्ध वस्तुआें का भी उपचारों के लिए उपयोग कर सकते हैं ।

 

भाग १ – महत्त्व एवं उपचार-पद्धति का अध्यात्मशास्त्र एवं भाग २ – बक्सों से उपचार कैसे करें ?

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