दीपावली के मंगल दिनपर रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में भावपूर्ण वातावरण में श्री लक्ष्मी-कुबेर पूजन !
साधकों को ऐसा प्रतीत हुआ कि परात्पर गुरुदेवजी की कृपा से देवी स्वयं का ही पूजन कर रही हैं, इस अलौकिक चैतन्य समारोह का अनुभव हुआ ।
साधकों को ऐसा प्रतीत हुआ कि परात्पर गुरुदेवजी की कृपा से देवी स्वयं का ही पूजन कर रही हैं, इस अलौकिक चैतन्य समारोह का अनुभव हुआ ।
धर्मप्रसार करनेवाले संत, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु कार्य करनेवाली संस्थाएं अथवा संगठनों के कार्य हेतु दान देना काल के अनुसार सर्वश्रेष्ठ दान है ।
मुलुंड सेवासंघ में २१ अक्टूबर २०१९ को आयोजित भावसमारोह में डॉ. विजय जंगम के हस्तों मराठी चरित्रग्रंथ ‘सद्गुरु (कु.) अनुराधा वाडेकरजी यांचे साधनापूर्व जीवन आणि साधनाप्रवास (साधना की अंतर्मुखता एवं उन्नति हेतु किए गए प्रयासोंसहित)’ का भावपूर्ण वातावरण में लोकार्पण किया गया ।
साधकों को विविध कारणों से होनेवाले शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कष्ट दूर हों, इसके लिए महर्षि भृगु महर्षिजी द्वारा बताए जाने के अनुसार यहां के सनातन आश्रम में श्री कालभैरवपूजन, २ दिनों का ‘महाचंडीयाग’, साथ ही सप्तर्षियों की आज्ञा के अनुसार श्री बगलामुखी यज्ञ किया गया ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में आ रही बाधाएं दूर हों और संपूर्ण विश्व में सुख एवं शांति बनी रहे, इस हेतु सोलापुर जिले की बार्शी तहसील के कासारवाडी स्थित श्री योगीराज वेद विज्ञान आश्रम में द्वितीय साग्निचित् अश्मेवध महासोमयाग का आयोजन किया गया है ।
‘अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ तथा स्वामी करपात्री फाऊंडेशन के प्रवर श्रद्धेय श्री त्र्यंबकेश्वर चैतन्यजी महाराज के गौरवोद्गार प्रवर श्रद्धेय श्री त्र्यंबकेश्वर चैतन्यजी महाराज (बाईं ओर) को ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का छायाचित्रमय जीवनदर्शन’ ग्रंथ भेंट करते हुए सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी देहली : सनातन संस्था के साधक अतिशय मधुरभाषी होते हैं । उनके जीवन की … Read more
गौरी लंकेश हत्या प्रकरण में सनातन संस्था का नाम जोडने के प्रकरण में हिन्दुत्वनिष्ठों ने को दृढता से सनातन संस्था का समर्थन किया ।
‘युद्धस्य कथा रम्या ।’, ऐसा कहा जाता है; परंतु जब प्रत्यक्ष युद्ध होता है और जब वह असीमित कालावधि तक जारी रहता है, तब वह रम्य न रहकर बहुत ही पीडादायी बन जाता है ।
सनातन संस्था के जालस्थल से भेंट करनेवाले पाठकों के अतिरिक्त सामाजिक जालस्थल के अतिरिक्त सामाजिक जालस्थल के माध्यम से सनातन संख्या से जुडे हुए पाठकों का भी एक अलग वर्ग होने से उस संदर्भ में भी जानकारी प्रकाशित कर रहे हैं ।