ठाणे (महाराष्ट्र) के प्रसिद्ध नृत्याचार्य डॉ. राजकुमार केतकरजी एवं डोंबिवली (महाराष्ट्र) के ख्यातिप्राप्त शास्त्रीय गायक श्री. किरण फाटकजी संतपद पर विराजमान !

  • नृत्य एवं गायन के माध्यम से संगीत आराधना कर संतपद प्राप्त करने का अनोखा उदाहरण !    
  • परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संतपद की घोषणा  
नृत्याचार्य पू. डॉ. राजकुमार केतकर का सत्कार करते हुए पू. डॉ. मुकुल गाडगीळ एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवले
पू. किरण फाटकजी का सत्कार करते हुए पू. डॉ. मुकुल गाडगीळ और साथ में पू. डॉ. राजकुमार केतकरजी

रामनाथी (गोवा) – ईश्‍वरप्राप्ति के माध्यम, इन कलाओं में आजकल केवल मनोरंजन तथा अर्थाजन के रूप आ गए हैं । आज कला और मनोरंजन के लिए कला आत्मसात करनेवाले कई लोग हैं । अति रज-तम प्रधान वातावरण में भी संगीत पर निष्ठा रखकर ईश्‍वरप्राप्ति की दिशा में अग्रसर होनेवाले कलाकार कला के माध्यम से साधना करनेवालों के लिए पथप्रदर्शक हैं । मोहमाया के विश्‍व में रह कर भी पैसा और प्रसिद्धि के पीछे दौडे बिना कला के माध्यम से ईश्‍वर का अनुभव करनेवाले ठाणे के प्रसिद्ध कत्थक नृत्याचार्य डॉ. राजकुमार केतकरजी (आयु ७१ वर्ष) और डोंबिवली के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक श्री. किरण फाटकजी (आयु ६५ वर्ष) ने संगीतसाधकों के सामने आदर्श प्रस्तुत किया है ।

‘समर्थ रामदासस्वामी के प्रति भाव रखनेवाले कत्थक नृत्याचार्य डॉ. राजकुमार केतकरजी और श्री स्वामी समर्थ की भक्ति करनेवाले शास्त्रीय गायक श्री. किरण फाटकजी ने संगीत के माध्यम से साधना कर संतपद पाया है’, सनातन के आश्रम में २६ जनवरी के दिन संपन्न हुए अनौपचारिक समारोह में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने ऐसा घोषित किया ।

इस आनंदवार्ता से सभी का मुखमंडल उल्लसित हुआ, अनजाने में सभी के हाथ जुड गए और दोनों संतों की संगीतनिष्ठा देखकर सभी का आदरभाव द्विगुणित हुआ । तीव्र शारीरिक कष्ट होते हुए भी परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी समारोह में उपस्थित रहे ।

सनातन संस्था के संत पू. डॉ. मुकुल गाडगीळजी ने पुष्पहार पहनाकर तथा भेंट वस्तु देकर पू. राजकुमार केतकरजी और पू. किरण फाटकजी का सत्कार किया ।

पू. केतकरजी की पत्नी श्रीमती वैशाली और पू. फाटकजी की पत्नी श्रीमती संजीवनी को सनातन संस्था की ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक प्राप्त साधिका श्रीमती देवी कपाडिया के हाथों भेंट वस्तु दी गई । महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के संगीत विभाग की समन्वयक ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. तेजल पात्रीकर ने सूत्रसंचालन किया ।

सत्कार के उपरांत दोनों संतों के मनोद्गार

‘आज के सत्कार से कत्थक कितनी प्राचीन कला है, इसकी प्रचीति हुई !’ – नृत्याचार्य पू. डॉ. राजकुमार केतकर

‘मेरेे गुरु (पंडित गोपीकृष्ण) मुझे कहा करते थे ‘राजा ! यदि तुम ‘नटवर (श्रीकृष्ण)’ कौन थे, इसका प्रसार करोगे, तो विद्यार्थियों को वह समझ में आएगा ।’ ‘नृत्य-आराधना से आज मेरी प्रगति हुई, इससे कत्थक प्राचीन, वेदकालीन विद्या है’, यह प्रमाणित हुआ । यह गुरुमहिमा है । मुझ पर नटवर की (श्रीकृष्ण की) ऐसी ही कृपा हो । आगे भी हमारी प्रगति हो, यही प्रार्थना !’

‘जिस पर ईश्‍वर की कृपा है, ऐसा व्यक्ति ही संगीत के माध्यम से साधना कर सकता है !’ – पू. किरण फाटक

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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