वाराणसी के संत कबीर प्राकट्य स्थल के छायाचित्रात्मक दर्शन

संत कबीर गुरू की प्रतीक्षा में थे । उन्होंने वैष्णव संत स्वामी रामानंदजी को अपना गुरु माना था; परंतु स्वामी रामानंदजी ने कबीरजी को शिष्य मानने से मना कर दिया था ।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्याधि (बीमारी) निवारण के लिए औषधि(दवाई) लेने का उचित मुहूर्त और रोगी की सेवा करनेवाले सेवक की कुंडली के योग

शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो; इसलिए ज्योतिषशास्त्रानुसार व्याधि से ग्रस्त व्यक्ति को धन्वंतरी देवता को प्रार्थना करके औषधि लेनी चाहिए ।

पूर्ण एवं अर्धपीठ तथा उनके कार्य

महालक्ष्मी पीठ अपने सर्व ओर लट्टूसमान वलयांकित ज्ञानशक्तिका भ्रमण दर्शित करता है । भवानी पीठ अपने केंद्रबिंदुसे क्रियाशक्तिका पुंज क्षेपित करता है, तो रेणुका पीठ क्षात्रतेजसे आवेशित किरणोंका क्षेपण करता है ।

कर्नाटक के श्रीसंस्थान हळदीपुर के मठाधिपती प.पू. श्री श्री वामनाश्रम स्वामीजी की साधकों के ध्यान में आईं गुणविशेषताएं !

‘हळदीपुर (जनपद उत्तर कन्नड), कर्नाटक के श्रीसंस्थान हळदीपुर के मठाधिपती प.पू. श्री श्री वामनाश्रम स्वामीजी ने १९.९.२०१९ को सनातन के रामनाथी आश्रम का अवलोकन किया ।

कुछ विशिष्ट उद्देश्यों के लिए श्री गणेशजी की उपासना करते समय पठने आवश्यक मंत्र !

‘हमारे जीवन में कहीं तो न्यूनता है अथवा हमारी इच्छा अपूर्ण है’, ऐसा लगना, इसे उच्छिष्ट कहा जाता है ।

हिन्दुओं के पराक्रमी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी उज्जैन, मध्य प्रदेश की श्री हरसिद्धि देवी !

उज्जैन, मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिरों में श्री हरसिद्धि देवी मंदिर की गणना होती है । यह देवी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी थीं ।

संत जनाबाई की श्रेष्ठ ईश्‍वरभक्ति दर्शानेवाले तथा भावविभोर करनेवाले अभंग !

जनाबाई स्वयं को ‘नामदेवजी की दासी’ कहलवाती थीं । विठ्ठलचरणी संपूर्ण जीवन समर्पित की हुईं जनाबाई ने देहभान भूलकर दिन-रात संत नामदेवजी के घर में सेवा की ।

मनुष्यजन्म का सार्थक करने का उपदेश देनेवाले संत नामदेवजी के अभंग (भक्तिगीत)

श्रीविठ्ठलजी की अनन्यभाव से भक्ति करनेवाले भक्तशिरोमणि संत नामदेव महाराज ! उनके स्मृतिदिवस के उपलक्ष्य में पंढरपुर के उनके निवास में स्थित विठ्ठलजी की भूर्तियों का भावपूर्ण दर्शन करेंगे ।

ओतूर (पुणे) के श्री कपार्दिकेश्‍वर मंदिर के मेले की विशेषता !

ओतूर में श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को मेला लगता है । इस दिन सुबह गांव के सभी घरों से चावल इकट्ठा कर उसे ओतूर की मांडवी नदी में धो लिया जाता है और मंदिर के गर्भगृह में उस चावल से ५ घडों का पिंड बनाया जाता है ।

गणेशभक्तों, भावभक्ति एवं धर्मपालन को जीवन में पहला और प्रमुखता से स्थान देना आवश्यक !

बाढग्रस्त प्रदेशों में जिन हिन्दुओं को आर्थिक समस्या के कारण श्री गणेशमूर्ति की प्रतिष्ठापना करना संभव नहीं है, वे गणेशोत्सव के समय में भावभक्ति के साथ श्रीगणेशजी की उपासना करें ।