साधकों को ज्ञान देने की तडपवाले जगद्गुरु योगऋषी डॉ. स्वामी सत्यप्रकाशजी !

रामनाथी आश्रम में स्वामीजी ने योग, संगीत आदि विषयोंपर मार्गदर्शन किया । उन्हों ने किस विषयपर मार्गदर्शन करना है, यह स्वयं सुनिश्‍चित न कर उसे संबंधित साधकों के पूछ लिया ।

पंचांग एवं ज्योतिषशास्त्र के पूर्वकल्पना दिए अनुसार बाढ आना, यह बुद्धिवादियों को करारा तमाचा !

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में आज इतना विकास हुआ है कि आज हम भारतीय अंतरिक्ष में चंद्रयान भी भेज सकें । ऐसा होते हुए भी कौन से क्षेत्र में अतिवृष्टि होगी, यह विज्ञान अथवा प्रौद्योगिकी निश्चितरूप से बता नहीं सके । मौसम विभाग के अनुमान तो इतने चूक जाते हैं कि सार्वजनिक रूप से मौसम विभाग का उपहास किया जाता है ।

हिन्दु धर्मप्रसार हेतु जीवन का प्रत्येक पल व्यतीत करनेवाले नगर (महाराष्ट्र) के महायोगी गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी !

गुरुदेव डॉ. नारायणानंदनाथ काटेस्वामीजी उत्तरप्रदेश के महान संत धर्मसम्राट करपात्री स्वामीजी के शिष्य है ! गुरुदेव ने पुणे विद्यापीठ में ‘डॉक्टरेट’ की पदवी प्राप्त की थी । उन्होंने जीवन का अधिक समय हिमालय में व्यतीत किया ।

कलियुग में विशेषतापूर्ण तथा साधकों से सभी अंगों से बनानेवाली सनातन संस्था की एकमात्रद्वितीय गुरु-शिष्य परंपरा !

सनातन संस्था में ‘गुरु की ओर तत्त्व के रूप में देखें’ की शिक्षा दी जाती है । अतः साधक उसे मार्गदर्शन करनेवाले संतों की ओर अथवा अन्य सहसाधकों की ओर तत्त्व के रूप में देखता है

ज्योतिष के बारे में सामान्य प्रश्न

पुराने और नई जन्मतिथि के अनुसार संपूर्ण भविष्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं आता । तिथि के बदलने से केवल तिथि का फल बदलता है ।

१०० प्रतिशत अचूक भविष्य के लिए स्त्री बीज फलित होने का समय ज्ञात होना आवश्यक !

सामान्यरूप से आजकल जन्मकुंडली के आधारपर ज्योतिषी जो बताते हैं, उसमें का केवल ३० से ३५ प्रतिशत भविष्यवाणी अचूक होती है ।

ज्योतिषशास्त्र – वेदों का अंग !

‘ज्योतिष’ शब्द ज्योति + ईश से बना है । ‘ज्योति’ का अर्थ ‘तेज’ तथा ‘ईश’ का अर्थ ‘ईश्वर’ अर्थात ‘ईश्वर के तेज से युक्त शास्त्र ज्योतिषशास्त्र है ।