राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने की अपेक्षा साधक-शिष्य बनना सदैव श्रेयस्कर !

‘किसी भी राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने की अपेक्षा साधक अथवा शिष्य बनना लाखों गुना श्रेष्ठ है; क्योंकि राजनीतिक दल में रज-तम गुण बढते हैं, जबकि साधक अथवा शिष्य बनने पर सत्त्वगुण बढता है । इससे ईश्वर की दिशा में आगे बढते हैं ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

केवल हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवता क्यों हैं ?

कुछ अन्य धर्मीय हिन्दुओं को चिढाते हैं ‘भगवान एक ही है, तो आपके धर्म में अनेक देवी-देवता क्यों है ?’ ऐसे अध्ययनशून्य व्यक्तियों के ध्यान में यह बात नहीं आती की हिन्दू धर्म सर्वाधिक परिपूर्ण धर्म है । यदि पश्चिमी चिकित्सा शास्त्र का उदाहरण देखें, तो यह ध्यान में आएगा कि पूर्व में विविध रोगों … Read more

गुरु पर अटल श्रद्धा होनी चाहिए !

‘अपने डॉक्टर, अधिवक्ता, लेखा परीक्षक इत्यादि पर हमारा विश्वास होता है । उससे भी अनेक गुना अधिक केवल विश्वास ही नहीं, अपितु श्रद्धा गुरु पर होनी चाहिए ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

अहंभाव रखनेवाले लेखापरीक्षक और अहंभावशून्य ईश्वर

‘लेखापरीक्षक कुछ व्यक्तियों का लेखा परीक्षण करते हैं तथा उसका उन्हें अहंभाव होता है । इसके विपरीत ईश्वर अनंत कोटि ब्रह्मांड के प्रत्येक जीव के प्रत्येक क्षण का लेखा जोखा (अकाउंट) रखते हैं, तब भी वे अहंशून्य हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

अहंभाव रखनेवाले आधुनिक चिकित्सक (डॉक्टर) और अहंभावशून्य ईश्वर !

‘आधुनिक चिकित्सक (डॉक्टर) रोगियों को छोटे-बडे रोगों से बचाते हैं एवं उसका उन्हें अहंभाव होता है । इसके विपरीत ईश्वर साधकों को भवरोग से, अर्थात जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करते हैं, तब भी वे अहंशून्य होते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

ईश्वर की खोज करना आवश्यक !

‘वैज्ञानिक ईश्वर की खोज करने के स्थान पर ईश्वर द्वारा बनाए गए विश्व की खोज अनेक पीढ़ियों तक करते रहते हैं । इसके विपरीत साधक ईश्वर की खोज करते हैं । ईश्वर मिलने पर उन्हें विश्व की पहेली सुलझती है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दुओ, ध्यान रखें साधना कर ईश्वर का आशीर्वाद मिलनेपर ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी !

‘ईश्वर के आशीर्वाद के बिना संसार में कुछ भी नहीं हो सकता । इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ईश्वर के आशीर्वाद के बिना होना संभव नहीं है । अतः हिन्दुओ, साधना कर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करें तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करें !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

ईश्वरप्राप्ति पूर्णकालीन साधना है !

‘ईश्वरप्राप्ति आधे समय का काम (पार्ट टाइम जॉब) नहीं है; अपितु पूर्णकालीन साधना है । इसलिए हमारी प्रत्येक कृति हमें भक्तिभाव से करनी चाहिए ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

भारतीयो, साधना का महत्त्व समझो !

‘आजकल पश्चिमी देशों में अधिकांशतः लडने के लिए कोई अपना चाहिए; इसलिए विवाह करते हैं । आगे लडाई-झगडे से ऊब जाने पर संबंध विच्छेद करते हैं । पुनः विवाह करते हैं और पुनः संबंध विच्छेद करते हैं । यह चक्र जारी रहता है । हमारे यहां ऐसी स्थिति न हो, इसके लिए साधना करें !’ … Read more