संत कबीर का आध्यात्मिक सामर्थ्य !
कबीर ने बताया, २५ वर्षों से मैं योगसाधना के बल पर हिमालय में गया था । वहां दो भाई तपश्चर्या कर रहे थे । उन्होंने मुझसे ब्रह्मज्ञान की मांग की ।
कबीर ने बताया, २५ वर्षों से मैं योगसाधना के बल पर हिमालय में गया था । वहां दो भाई तपश्चर्या कर रहे थे । उन्होंने मुझसे ब्रह्मज्ञान की मांग की ।
आज हम सीखेंगे कि वास्तुदेवता की कृपादृष्टि सदैव हमपर बनी रहे इसलिए कैसी प्रार्थनाएं करें । प्रार्थना एसे करें कि हम आर्त भाव से ईश्वर को पुकार रहे हैं ।
हिन्दू धर्मशास्त्र में नामजप सहित सात्त्विक अन्नसेवन को ‘यज्ञकर्म’ कहा है । ‘यज्ञकर्म’ करने से अन्न सहज ही पच जाता है और प्राणशक्ति मिलती है ।
मनुष्य पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता और वह बिजली के अभाव में जीवित रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता; इसलिए पानी की सुविधा करना, पानी का भंडारण तथा उसके शुद्धीकरण की पद्धतियां, बिजली के विकल्पों के विषय में जानकारी इस लेख में दे रहे हैं ।
वैद्यकीय उपचारों को अध्यात्म की जोड कैसे दें, उसका लाभ कैसे होता है आदि विविध शंकाओं का समाधान इस परिसंवाद से हुआ ।
आपातकाल में ऐसी स्थिति निर्माण हो सकती है कि भोजन के लिए ईंधन का अभाव हो, घर में सभी लोग रोगी हों, अचानक अन्य स्थान पर रहना पडे, बाजार में साग-सब्जियां न मिले ।
हम कितना भी अनाज संग्रहित कर लें, वह धीरे-धीरे समाप्त होता है । ऐसे समय भूखा न रहना पडे, इसकी पूर्व तैयारी के लिए अनाज का रोपण, गोपालन आदि करना आवश्यक है ।
आपातकाल में रक्षा हेतु व्यक्ति अपने बल पर कितनी भी तैयार रहे, भूकम्प, त्सुनामी समान महाभीषण आपदाओं से बचने के लिए अन्ततः भगवान पर भरोसा करना ही पडता है ।
‘एलोपैथिक सेनिटाइजर’ और ‘आयुर्वेदिक सेनिटाइजर’ से प्रक्षेपित स्पंदनों का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए २५.४.२०२० को रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा एक परीक्षण किया गया ।
कोरोना विषाणु संक्रमण के कारण मृतक व्यक्ति का शरीर अथवा उसकी अस्थियां उसके परिवारजनों को नहीं सौंपी जातीं । ऐसी स्थिति में भी धर्मशास्त्र के अनुसार ‘पलाशविधि’ करना उचित होगा ।