हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य में श्रीसत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी का शुभ संदेश !

इस वर्ष गुडीपडवा २२ मार्च को है । गुडीपडवा अर्थात सृष्टि का निर्मिति दिन ! इस नववर्षारंभ दिन के अवसर पर श्रीरामस्‍वरूप सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के चरणों में शरणागत होकर साधना के प्रयास बढाने का शुभ संकल्प करें !…

व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर ज्योतिषशास्त्र की उपयुक्तता

ज्योतिषशास्त्र, यह कालज्ञान का शास्त्र है । ‘कालमापन’ एवं ‘कालवर्णन’, उसके २ अंग हैं । कालमापन के अंतर्गत काल नापने के लिए आवश्यक घटक एवं गणित की जानकारी होती है । कालवर्णन के अंतर्गत काल का स्वरूप जानने के लिए आवश्यक घटकों की जानकारी होती है । कालवर्णन के दृष्टिकोण से ज्योतिषशास्त्र की व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर उपयुक्तता इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।

ज्योतिषशास्त्र : काल की अनुकूलता एवं प्रतिकूलता बतानेवाला शास्त्र !

ज्योतिषशास्त्र अर्थात ‘भविष्य बतानेवाला शास्त्र’ ऐसी अनेकों की समझ होती है और इसलिए उन्हें लगता है कि ज्योतिषी हमारा भविष्य विस्तार से बताए । क्या वास्तव में ज्योतिष भविष्य बतानेवाला शास्त्र है, यह इस लेख द्वारा हम समझ लेंगे । उससे पूर्व ज्योतिषशास्त्र का प्रयोजन समझ लेंगे ।

फल-ज्योतिषशास्त्र के मूलभूत घटक : ग्रह, राशि एवं कुंडली के स्थान

फल-ज्योतिषशास्त्र ग्रह, राशि एवं कुंडली के स्थान, इन ३ मूलभूत घटकों पर आधारित है । इन ३ घटकों के कारण भविष्य दिग्दर्शन करना संभव होता है । इन ३ घटकों को संक्षेप में इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।

प्रभु श्रीराम का जन्म होने के पीछे अनेक उद्देश्य होना !

वाल्मीकि-रामायण के उत्तरकांड के ९१ वें सर्ग की कथा में आया है, ‘प्राचीन काल की बात है । एक बार देवासुर-संग्राम में देवताओं से  पीडित दैत्यों ने महर्षि भृगु की पत्नी से आश्रय मांगा । भृगुपत्नी ने उन्हें आश्रय दिया और वे दैत्य उनके आश्रम में निर्भयता से रहने लगे ।

सीतामाता के वास्तव्य से पावन हुई श्रीलंका का ‘सीता कोटुवा’ !

रामायण में जिस भूभाग को लंका अथवा लंकापुरी कहते हैं, वह स्थान आज का श्रीलंका देश है । त्रेतायुग में श्रीमहाविष्णु ने श्रीरामावतार धारण किया एवं लंकापुरी में जाकर रावणादि असुरों का नाश किया । युगों-युगों से इस स्थान पर हिन्दू संस्कृति ही थी । २ सहस्र ३०० वर्षों पूर्व राजा अशोक की कन्या संघमित्रा के कारण श्रीलंका में बौद्ध पंथ आया । अब वहां के ७० प्रतिशत लोग बौद्ध हैं ।

दिल्ली के विश्‍व पुस्तक मेले में सनातन संस्था की ग्रंथ-प्रदर्शनी का शुभारंभ !

दिनांक 25 फरवरी से 5 मार्च 2023 के बीच प्रगति मैदान, दिल्ली में हो रहे विश्व पुस्तक मेले में सनातन संस्था द्वारा आध्यात्मिक ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई है ।
हिन्दी स्टॉल : हॉल क्र.  2, स्टॉल क्र. 169/170
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नैसर्गिक कालविभाग : वर्ष, अयन, ऋतु, मास एवं पक्ष

सूर्य एवं चंद्र, कालपुरुष के नेत्र समझे जाते हैं । सूर्य एवं चंद्र के भ्रमण के कारण हम कालमापन कर सकते हैं और उसका व्यवहार में उपयोग भी कर सकते हैं । ‘वर्ष, अयन, ऋतु, मास एवं पक्ष’ इन प्राकृतिक कालविभागों की जानकारी इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।

चंद्रोदय कब होता है ?

‘सामान्यतः बोली भाषा में हम ऐसा कहते हैं ‘सूर्य का उदय सवेरे एवं चंद्र का रात में होता है ।’ सूर्य के संदर्भ में यह योग्य हो, तब भी  चंद्र के संदर्भ में ऐसा नहीं हाेता है । चंद्रोदय प्रतिदिन भिन्न-भिन्न समय होता है । उस विषय की जानकारी इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।

नवग्रहों की उपासना करने का उद्देश्य एवं उसका महत्त्व !

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहदोषों के निवारण के लिए ग्रहदेवता की उपासना करने के लिए बताया जाता है । इस उपासना करने के पीछे का उद्देश्य एवं उसका महत्त्व इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।