सत्सेवा किसे कहते हैं ?

‘एक बार बुद्धि से अध्यात्म का महत्त्व ध्यान में आया कि, ‘इस जन्म में ही मोक्षप्राप्ति करना है’, ऐसा निश्चय यदि उसी समय निश्चय हुआ तथा साधना आरंभ हुई कि, सत्संग में क्या सीखाया जाता है, इस बात को अल्प महत्त्व रहता है । यदि ऐसे साधक ने नामजप तथा सत्संग के साथ-साथ सेवा की, तो उसे अधिकाधिक आनंद प्राप्त होने लगता है तथा साधक पर गुरुकृपा का वर्षाव निरंतर रहता है ।
सत्सेवाके संदर्भमें निम्नलिखित विषयों का ध्यान रहे ।

सत्संग का महत्त्व

एक बार वसिष्ठ एवं विश्वामित्र ऋषिके बीच विवाद खडा हुआ कि सत्संग श्रेष्ठ है अथवा तपस्या ? वसिष्ठ ऋषिने कहा, ‘सत्संग’; किंतु विश्वामित्र ऋषिने कहा, ‘तपस्या’ । इस विवादके निष्कर्ष के लिए वे देवताओंके पास गए । देवताओंने कहा, ‘‘केवल शेष ही तुम्हारे प्रश्नका उत्तर दे सकेंगे ।’’ तब वे दोनों शेषनागके पास गए । उनके प्रश्न पूछनेपर शेषने कहा, ‘‘तुम मेरे सिरसे पृथ्वीके भारको हल्का करो, फिर मैं सोचकर उत्तर दूंगा ।’’

गुरूपूर्णिमा महोत्सव २०१७ का ‘फेसबूक लाइव’ के माध्यम से सीधा प्रसारण !

सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति तथा अन्य आध्यात्मिक संगठनों ने १०० से भी अधिक स्थानोंपर गुरूपूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया है । हिन्दी, मराठी, कन्नड, तमिल, तेलुगू, मल्यालम, बांग्ला, गुजराती, आेडिया, नेपाली तथा अंग्रेजी इन ११ भाषाआें में ‘फेसबूक लाइव’ के माध्यम से सीधा प्रसारण किया जाएगा ।

अहं निर्मूलन : ईश्‍वर के साथ एकरूप होने का सर्वोत्तम मार्ग !

यदि व्यक्ति में अहं का अंश अल्प मात्रा में भी रहा, तो उसे ईश्‍वरप्राप्ति नहीं हो सकती । अतः साधना करते समय अहं-निर्मूलन के प्रयास हेतुपुरस्सर करना आवश्यक है । प्रार्थना, कृतज्ञता, शारीरिक सेवा के समान कृतियों द्वारा अहं अल्प होने के लिए सहायता प्राप्त होती है ..

मां-पिता समान सभी साधकों को आध्यात्मिक स्तर पर घडने के लिए प्रयासरत पू. (श्रीमती) सूूरजकांता मेनरायजी !

सनातन की ४५ वीं संत पूज्य (पू.) मेनराय दादी का ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को जन्मदिन है  इस निमित्त उनकी ध्यान में आई गुणविशेषताएं यहां दे रहे हैं । 

पर्यावरण के ऱ्हास के कारण निसर्गदेवता का कोप

पर्यावरण का ऱ्हास होने के कारण ही समुद्र के पेट में तीव्र भूकंप, ज्वालामुखी का उद्रेक अथवा भूकंप की घटना घटने से त्सुनामी लहरी निर्माण होने की संभावना रहती है । लहरों की आगे बढने की गति प्रति घंटा ८०० ते १ सहस्र किलोमीटर इतनी रहती है ।

निसर्गशुद्धि के पश्चात् पर्जन्यवृष्टि करनेवाला सोमयाग !

सोमयाग का वातावरण पर क्या परिणाम होता है, इस बात का अभ्यास करने हेतु गोगटे-जोगळेकर महाविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग की ओर से प्रा. मयुर देसाई तथा प्रा. विजय गुरव ने यज्ञ के प्रथम दिन से यज्ञ से कुछ दूरी पर वैज्ञानिक मापन करनेवाले यंत्र के माध्यम से वातारवरण में होनेवाले कार्बन-डाय ऑक्साइड की मात्रा का परीक्षण किया । वैज्ञानिक प्रयोग से यह सिद्ध हुआ है कि, ज्वलन के कारण हवा में कार्बन-डाय-ऑक्साईड वायु की मात्रा बढती है; किंतु होमहवन के पश्चात् इस परिसर के कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा न्यून हुई ।

सहस्रों वर्षों के काल-पटल पर अपना प्रभाव अंकित करनेवाले अवतारी पुरुष !

साधारण व्यक्ति का जीवन पक्षियों की भांति होता है, ४ तिनकों से बनी गृहस्थी ! उनमें से भी जो व्यक्ति अपने स्वार्थ को त्याग कर समाज, राष्ट्र एवं धर्म हेतु अपना जीवन अर्पित करते हैं, वे विभूति कहलाते हैं । ऐसी अनेक विभूतियों को भारत मां ने अपनी गोद में खेलाया है । कुछ व्यक्ति सही समय पर अपने कार्य छाप अंकित कर, कीर्ति अर्जित करते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य के विषय में मान्यवरों द्वारा निकाले गए उद्गार !

आज जानबूझकर, आस्था के साथ एवं ईश्‍वरीय प्रेरणा से जागृति करनेवाली व्यक्ति यदि कोई होगा, तो वे हैं डॉ. जयंत आठवलेजी ! उनको आद्य शंकराचार्यजी अथवा समर्थ रामदासजी का अवतार ही कहना होगा । आज की भाषा में डॉ. आठवलेजी को केवल संत कहना अनुचित होगा ।