याचक भाव अर्थात शरणागतभाव का महत्त्व
भगवान के पास जाते समय यदि मन में गर्व लेकर जाएंगे अथवा बिना शरणागत हुए जाएंगे, तो निश्चितरूप से भगवान की कृपा नहीं मिलती । हम याचक बनकर गए, शरणागत होकर गए, बिना फल की अपेक्षा रखकर गए, तो भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं ।