धार्मिक विधियोंमें पति एवं पत्नीद्वारा करने योग्य कृत्य

जानिये इन प्रश्नोंके उत्तर – किस विधिमें पत्नी पतिकी बाइं ओर बैठे ?, पतिके दाहिने हाथको हस्तस्पर्श करते समय पत्नी अपनी चार उंगलियोंसे स्पर्श करती है, अंगूठेसे क्यों नहीं ? और अन्य प्रश्नोंके उत्तर |

वैदिक पद्धतिसे विवाह क्यों करते है ?

पशुके स्तरपर न रहकर उच्चतम स्तरपर जाकर, विवाह जैसे रज-तमात्मक प्रसंगको भी सात्त्विक बनाकर, उन्हें अध्यात्मसे जोडकर देवताओंके कृपाशीर्वाद प्राप्त करनेका अवसर हिंदु धर्मने दिया है ।

विवाह संस्कार

‘विवाह’ जीवनका एक महत्त्वपूर्ण संस्कार है । धार्मिक संस्कारोंको केवल परंपरागत करनेकी अपेक्षा, उनके शास्त्रीय आधारको समझकर करना महत्त्वपूर्ण होता है । शास्त्रीय आधार समझनेसे वह संस्कार अधिक श्रद्धापूर्वक होता है ।

औक्षण (आरती उतारना)

‘औक्षण’ अर्थात दीपक की ज्योति की सहायता से कार्यरत ब्रह्मांड के देवताओं की तरंगों के पृथ्वी पर पदार्पण के क्षण का स्वागत करना एवं उस क्षण को ध्यान में रखकर उन तरंगों की शरण जाना ।

पंचोपचार एवं षोडशोपचार पूजन कैसे करें ?

पंचोपचार एवं षोडशोपचार जीव को विधिवत धर्माचरण सिखाती हैं । इससे, हिंदू धर्म में समाविष्ट उपचारों की उच्च अध्यात्मशास्त्रीय सटीकता स्पष्ट होती है ।’

देवतापूजन की पूर्वतैयारी की प्रत्यक्ष कृति

प्रस्तुत लेख में हम पूजा के पूर्व, पूजास्थल और उपकरणों की शुद्धि कैसे करें; देवी-देवता के तत्त्व से संबंधित रंगोली बनाना, पूजा हेतु बैठने के लिए आसनों के विविध प्रकार, भगवान पर चढाए गए पुष्प (निर्माल्य) उतारने की और देवी-देवताओं के चित्र और मूर्ति पोछने की योग्य पद्धति संबंधी जानकारी देखेंगे ।

देवालय का महत्त्व

प्रत्यक्ष ईश्वरीय ऊर्जा के आकर्षण, प्रक्षेपण एवं संचारण के केंद्र होते हैं ‘देवालय’ । इसलिए देवालय से ईश्वरीय ऊर्जा निरंतर आकर्षित होती है तथा उसका प्रक्षेपण सर्व दिशाओं में होता है ।

देवी की आंचल भराई कैसे करें ?

साडी और चोली वस्त्र-नारियल से देवी का आंचल भरना, यह देवी के दर्शन के समय किया जानेवाला एक प्रमुख उपचार है । यह शास्त्र समझकर, इसे भावपूर्ण करने से, उसका आध्यात्मिक लाभ अधिक प्रमाण में श्रद्धालु को मिलता है ।

साष्टांग नमस्कार ऐसे करें !

विद्यार्थियो, जीवन की समस्याओं या दुःखभरे प्रसंगों में हम डगमगा जाते हैं । उनका धैर्यपूर्वक सामना करने हेतु बल कहां से प्राप्त होगा ? जीवन में उत्पन्न परिस्थिति को स्वीकारकर नित्य आनंदमय जीवन कैसे जी पाएंगे ? उत्तर है नामजप से !