देवालयमें दर्शनकी योग्‍य पद्धति

`देवालय’ अर्थात् जहां भगवानका साक्षात् वास है । दर्शनार्थी देवालयमें इस श्रद्धासे जाते हैं कि, वहां उनकी प्रार्थना भगवानके चरणोंमें अर्पित होती है और उन्हें मन:शांति अनुभव होती है ।

हिंदु संस्कृतिका प्रतीक `नमस्कार’

हिंदु मनपर अंकित एक सात्त्विक संस्कार है `नमस्कार’ । भक्तिभाव, प्रेम, आदर, लीनता जैसे दैवीगुणोंको व्यक्त करनेवाली और ईश्वरीय शक्ति प्रदान करनेवाली यह एक सहज धार्मिक कृति है ।

देवता की आरती कैसे करे ?

पंचारतीके समय आरतीकी थालीको पूर्ण गोलाकार घुमाएं । इससे ज्योतिसे प्रक्षेपित सात्त्विक तरंगें गोलाकार पद्धतिसे गतिमान होती हैं । आरती गानेवाले जीवके चारों ओर इन तरंगोंका कवच निर्माण होता है ।