हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अनमोल विचार !

किसी भी कार्य के लिए उचित समय आवश्यक होता है । सन्तों को पता रहता है कि किस कार्य के लिए कौन-सा समय उपयुक्त है । अभी ऐसी कोई स्थूल घटना नहीं हो रही, जिससे अनुमान लगाया जा सके कि ‘भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।’ परंतु काल की पदचाप सुननेवाले संत जान गए हैं कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होगी ! निम्नांकित सूत्रों से सभी को काल का महत्त्व ध्यान में आएगा ।

प्रभु श्रीराम के चरणस्पर्श से पावन हुए चित्रकूट पर्वत के दर्शन !

प्रभु श्रीराम, १४ वर्ष का वनवास समाप्त कर और रावण को पराजित कर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अयोध्या लौटे थे । तब अयोध्यावासियों ने नगर को तोरण-पताकाआें से सजाकर उनका आनंदपूर्वक स्वागत किया था ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का विचारधन !

भारत में वर्ष २०२३ में ईश्‍वरीय राज्य अर्थात हिन्दू राष्ट्र स्थापित होगा । यह आज तक अनेत संतों ने समय-समय पर बताया है । काल की पदचाप (आहट) पहले ही सुन लेनेवाले संतों ने, हिन्दू राष्ट्र रूपी उज्ज्वल भविष्य देख लिया है । अब उस दिशा में प्रयत्न करना, हमारी साधना है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अनमोल विचार !

‘भारत में वर्ष २०२३ में ‘ईश्‍वरीय राज्य’ अर्थात ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होगा ।’ यह आज तक अनेक संतों ने समय-समय पर बताया है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापनासे संबधित कोई भी आशादायी घटना स्थूल रूप में होती दिखाई नहीं दे रही । ऐसे में ‘हिन्दू राष्ट्र’ के विषय में बोलना, किसी को भी अतिशयोक्ति लग सकती है; परंतु काल की पदचाप (आहट) पहले ही सुन लेनेवाले संतों ने, हिन्दू राष्ट्र रूपी उज्ज्वल भविष्य देख लिया है ।

पाकिस्तान में है भक्त प्रल्हाद का मंदिर, जहां हुई थी होली की शुरुआत !

भक्त प्रल्हाद ने भगवान नृसिंह के सम्मान में एक मंदिर बनवाया था जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित पंजाब के मुल्तान शहर में है। इसे प्राचीनकाल में श्रीहरि के ‘भक्त प्रल्हाद का मंदिर’ के रूप में जाना जाता था। इस मंदिर का नाम प्रल्हादपुरी मंदिर है।

भारत श्रीयंत्रांकित राष्ट्र होने के कारण भारत को आध्यात्मिक दृष्टि से प्राप्त वैभव !

हमारा भारत देश आरंभ से ही ‘श्रीयंत्रांकित’ है ! उपर का त्रिकोण हिमालय, अरवली एवं सातपुडा पर्वतों से मिलाकर बना है। विंध्य पर्वत नीव होनेवाला तथा बाजू की दो पूर्वघाटियां एवं पश्‍चिम घाटी को मिलाकर नीचला त्रिकोण बना है।

दो हिस्सों में बंटा है ये अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग, शिवरात्रि पर हो जाता है दोनों का मिलन

यूं तो संपूर्ण भारत में ही शिव के अनेक मंदिर हैं किंतु उत्तराखंड और हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्रो में ऐसे कई चमत्कारी मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु भोलेनाथ को नमन करने के अलावा उस मंदिर से जुड़ी प्राचीन व अलौकिक मान्यताओं के कारण भी दर्शन करने आते हैं।

राजस्थान : भगवान लक्ष्मण के इस चमत्कारिक मंदिर को बचाने के लिए भक्तों ने लगार्इ न्यायालन से गुहार !

यहां भगवान लक्ष्मण का मंदिर है। इस मंदिर से चमत्कार की घटनाएं भी जुड़ी हुई हैं। भगवान के नाम सालों पहले १६ बीघा देवस्थान माफी मंदिर की जमीन थी। यह जमीन किसी व्यक्ति के नाम हस्तांतरित नहीं हो सकती,

महिलादिन के अवसर पर !

भारतीय संस्कृति में स्त्रियों के शीलरक्षण का विशेष महत्त्व है । इसी कारण रामायण और महाभारत हुआ था । आज भारतीय स्त्रियों के शीलरक्षण को महत्त्व नहीं दिया जाता ।

२२२ सालों से लगातार जल रहा है रघुनाथ मंदिर का दीपक

अहमदाबाद में एक तेल का दीया ऐसा भी है जो पिछले २२२ वर्षाें से लगातार जल ही रहा है । गोस्वामी हवेली पर नटवर प्रभु और श्यामल जी के वैष्णव मंदिर पर जल रही इस अखंड ज्योति पर सभी समुदाय और जाति के लोगों का विश्वास है ।