पाताल तक जाता है इस शिवलिंग पर चढाया गया जल, यहां लक्ष्मण को दिए थे महादेव ने दर्शन !

भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर अत्यंत रहस्यमय भी हैं। छत्तीसगढ़ के खरौद नगर में स्थित एक प्राचीन मंदिर में जिस शिवलिंग की पूजा की जाती है, उसके बारे में मान्यता है कि यहां से एक मार्ग पाताल तक जाता है।

यहां फेरे लेकर भगवान शिवजी ने किया था माता पार्वती से विवाह, आज भी जल रही वो अग्नि

भगवान शिवजी को पत‌ि रूप में पाने के ल‌िए देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। देवी पार्वती की कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उनके विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर दिया। भगवान शिवजी और देवी पार्वती का विवाह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हुआ था।

यहां मिला २००० वर्ष प्राचीन शिवलिंग, आता है तुलसी जैसा सुगंध !

शिवलिंग की सबसे बड़ी विशिष्टता यह है कि, इससे ऐसी बहुत सी ऐतिहासिक चीजें जुड़ी हैं जो आज भी इस जमीन में है और हमें हमारी पुरानी सभ्यता और उनसे जुड़े किस्से-कहानियों की याद दिलाती हैं।

त्रैलंग स्वामी

त्रैलंग स्वामी जी एक हिन्दू योगी थे । वे गणपति सरस्वती के नाम से भी जाने जाते थे । माना जाता है कि उनकी आयु लगभग ३०० वर्ष रही थी ।

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में ग्यारहवी-बारहवीं सदी के मंदिरों से मिली २० दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां !

पुरातत्व विभाग के तकनीकी दल ने मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के जावर तहसील के ग्राम वीलपान के समीप बसे देवबड़ला में परमाकालीन दो मंदिर ढूंढ निकाले हैं।

चैतन्यमयी गोदुग्ध, घी, गोमय एवं गोमूत्र का उपयोग कर विदेश में जानेवाला धन बचाएं !

गोसेवा से संतान प्राप्त होती है । गोबर का उपयोग खाद के रूप में करने से अन्नरूपी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । केवल दूध-घी ही नहीं; अपितु गोमूत्र भी आरोग्यदायी और रोगनाशक है ।

गोपियुष : सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्‍वरप्रदत्त अनमोल देन !

गोपियुष अर्थात प्रसूती पश्‍चात ४८ से ७२ घंटों में गाय द्वारा प्राप्त प्रथम दूध । गोपियुष और माता द्वारा प्राप्त पियुष में वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत सी समानता पाई गई है । गोपियुष में रोगप्रतिकारक शक्ति और शरीर की सुदृढता के लिए आवश्यक ९० से अधिक पोषकतत्त्व हैं । गोपियुष सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्‍वरप्रदत्त अनमोल देन है ।

इस मुस्लिम देश में सदियों से जल रही मां भगवती की अखंड ज्योति !

वैष्णो देवी से लेकर कन्या कुमारी तक भारत में मां दुर्गा के बहुत से मंदिर हैं किंतु यदि किसी मुस्लिम देश में मंदिर मौजूद हो तो यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। रूस और ईरान के बीच में स्थित मुस्लिम देश अजरबैजान में सुराखानी नामक स्थान पर माँ भगवती का एक प्राचीन मंदिर स्थित है।

१००० वर्ष पहले बने थे यहां २६ मंदिर, अब ऐसे वीरान पडे हैं ध्वंस अवशेष !

आशापुरी स्थित मंदिर देखने में भले ही छोटे हों, परंतु इनको बनाने में २०० साल लगे हैं। इन ऐतिहासिक मंदिरों से जुड़ी जानकारी एसपीएस भोपाल और ब्रिटेन की कार्डिफ विश्वविद्यालय के वेल्स स्कूल ऑफ वास्तु-विद्या की समूह के अध्ययन में सामने आई है।

श्रीविष्णु

ईश्‍वरने प्रजापति, ब्रह्मा, शिव, विष्णु एवं मीनाक्षी, इन पांच देवताओंसे (तत्त्वोंसे) विश्‍वकी निर्मिति की । इन पांच देवताओंमें ईश्‍वरकी सर्व विशेषताएं हैं । श्रीविष्णुकी विशेषताएं आगे दिए अनुसार हैं ।