प.पू. डॉक्टरजी द्वारा निर्मित रामनाथी आश्रम का महर्षि द्वारा विविध उपमा देकर किया गया वर्णन
रामनाथी आश्रम साक्षात श्रीमत् नारायण का वैकुंठ लोक है; क्योंकि अवतार लीला करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण यहां प्रत्यक्ष विराजमान हैं ।
रामनाथी आश्रम साक्षात श्रीमत् नारायण का वैकुंठ लोक है; क्योंकि अवतार लीला करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण यहां प्रत्यक्ष विराजमान हैं ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लक्ष्य को साकार बनाने हेतु सनातन संस्था प्रतिबद्ध है । विविध ग्रंथ, सनातन प्रभात नियतकालिक, साथ ही उद्बोधक ध्वनिचित्रचक्रिकाआें के माध्यम से संस्था की ओर से राष्ट्र एवं धर्म के विषय में जनसामान्यों में जागृति की जा रही है ।
५ अप्रैल को रात्रि यहां के सनातन के आश्रम में मालेगांव बमविस्फोट प्रकरण में जमानत पर मुक्त हुई प्रखर धर्मनिष्ठ साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर साध्वीजी का शुभागमन होने के पश्चात् साधकों ने उनका भावपूर्ण स्वागत किया ।
‘सनातन संस्था पृथक विषयों पर अमूल्य ज्ञान प्रदान करनेवाली दुर्मिळ ग्रंथसंपदा प्रकाशित करती है । साथ ही मराठी, कन्नड, हिन्दी, अंग्रेजी तथा गुजराथी इन ५ भाषाओं में प्रकाशित करती है ।
सनातन संस्था तथा हिन्दु जनजागृति समिति के संकेतस्थल पर राष्ट्ररक्षण, धर्मजागृति, साधना, आचारधर्म इत्यादि विषयों पर अनमोल ज्ञानसंपदा उपलब्ध है । फेसबुक, ट्विटर, वॉटसअॅप के समान सामाजिक प्रसारमाध्यमों द्वारा इस ज्ञान का व्यापक स्तर पर प्रसार किया जा रहा है ।
सनातन के आश्रम अर्थात् हिन्दु धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा हेतु निरंतर प्रयास करनेवाली साधकों की आध्यात्मिक पाठशाला ही ! आश्रम में रहकर पूरे समय के लिए साधना करने के लिए तथा राष्ट्र एवं धर्म के कार्य को सहायता करने के लिए इच्छुक साधक तथा धर्मप्रेमियों की संख्या प्रति दिन बढती जा रही है ।
यहां के श्री भगवती अम्मा मंदिर में १० दिन तक आरंभ मसिकोडाई उत्सव में हिन्दू जनजागृति समिति सम्मिलित हुई थी । इस उत्सव में हेन्दवा सेवा संगम इस संगठन ने ‘हिन्दु धार्मिक बैठक’ इस कार्यक्रम का आयोजन किया था ।
हालहीमें सनातन संस्था की ओर से यहां के श्री. प्रभाकरन् के निवासस्थान पर विशेष सत्संग समारोह का आयोजन किया गया था । इस भावपूर्ण सत्संग समारोह के लिए ३० से अधिक साधक उपस्थित थे ।
यहां के मरिन ड्राइव में १ से ११ मार्च इस कालावधी में आंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेलावा आयोजित किया गया था । इस पुस्तक मेलावा में आयोजित की गई सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी को जिज्ञासुओं द्वारा उत्स्फूर्त प्रतिसाद प्राप्त हुआ ।
जिस प्रकार से वैकुंठ में भगवान विष्णुजी की सेवा करने में गरुड व्यस्त रहता है, उसी प्रकार से हनुमानजी सदैव श्रीरामजी की सेवा में व्यस्त रहते हैं । गरुड ने अपनी माता को दासता से छुडाने के लिए, स्वर्ग से अमृत लाकर दिया था । उसी प्रकार से हनुमानजी मूर्च्छित लक्ष्मण के लिए संजीवनी वनस्पति लेकर आए ।