हिन्दुत्वनिष्ठ वैभव राऊत की गिरफ्तारी है ‘मालेगांव पार्ट 2’ !

श्री. वैभव राऊत एक साहसी गोरक्षक हैं और वे गोरक्षा करनेवाले संगठन हिन्दू गोवंश रक्षा समिति के माध्यम से सक्रिय थे ।

गणेशोत्सव मंडल मनोरंजन के कार्यक्रम की अपेक्षा राष्ट्र-धर्म के विषय में जागृति लानेवाले कार्यक्रमों का आयोजन करें ! – सद्गुुरु नंदकुमार जाधवजी, उत्तर महाराष्ट्र प्रसारसेवक, सनातन संस्था

कुछ गणेशोत्सव मंडल के कार्यकर्ता गणेशोत्सव के लिए फिरौती लेने की भांति चंदा इकट्ठा करते हैं ।

मुंबई के कुछ मूर्तिकारों ने बनाई सूर्यफुल के बीज के साथ तथाकथित पर्यावरण के अनुकूल श्री गणेश मूर्ति!

त्यौहार और उत्सवों में प्रत्येक कृति आध्यात्मिक लाभ के लिए की जाती है, इस धर्मशिक्षा के अभाव के कारण हिन्दुओं को ध्यान में नहीं आता । गणेशोत्सव का आध्यात्मिक लाभ पाने के लिए भाविकों को शास्त्रीय पद्धति के अनुसार शाडू की श्री गणेशमूर्ति की स्थापना करनी चाहिए ।

भगवान परशुरामजी की कृपा प्राप्त तथा परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति उच्च कोटि का भाव रखनेवाली म्हापसा (गोवा) की पू. सुशीला आपटेदादीजी (आयु ८१ वर्ष) सद्गुुरुपदपर विराजमान !

परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति उच्च कोटि का भाव रखनेवाली म्हापसा (गोवा) की पू. सुशीला आपटेदादीजी द्वारा आषाढ कृष्ण पक्ष दशमी/एकादशी के शुभदिनपर सद्गुरुपदपर विराजमान होने की घोषणा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की वंदनीय उपस्थिति में सनातन की सद्गुुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने की ।

स्वभावदोष निर्मूलन और अहं निर्मूलन प्रक्रिया

कठिनाई आनेपर उसी के विषय में अधिक समय तक सोचते रहने से मन अशांत होता है और समस्या अधिक विकट बनती है । समस्या आनेपर मन से स्थिर रहकर सोचिए कि ‘इसे हल करना मेरी साधना है ।

श्री महालक्ष्मीदेवी के मंदिर में हुए किरणोत्सव का सूक्ष्म-परीक्षण

श्री महालक्ष्मीदेवी के मंदिर में आनेवाली कालानुरूप तारक-मारक तत्त्वों से सुसज्जित सूर्यकिरणें देवी के शक्तिरूपी कार्य से संबंधित हैं और उस काल में वायुमंडल को शुद्ध करती हैं । यह, एक प्रकार से वायुमंडल में रज-तम की प्रबलता दूर करने के लिए की गई प्राकृतिक व्यवस्था है ।

नगर जनपद के श्रद्धास्थान २०० वर्ष प्राचीन ‘श्री विशाल गणपति’ !

महाराष्ट्र में स्थित ‘नगर’ शहर के ‘ग्रामदेवता’ मालीवाडा के श्री सिद्धिविनायक का मंदिर विशाल और बहुत जागृत है । यह मंदिर २०० वर्ष पुराना है । ये, भक्तों की मनोकामना पूर्ण करनेवाले देवता के रूप में प्रसिद्ध हैं । यह मूर्ति साढे ग्यारह फुट ऊंची, पूर्वाभिमुखी और दाएं सूंड की है ।

ज्ञानप्रबोधिनी या अज्ञानप्रबोधिनी ?

ज्ञानप्रबोधिनी की वटसावित्री पोथी के प्रारंभ में ऐसा उल्लेख है कि ‘पर्यावरण शुद्धि और रक्षा के लिए वटसावित्री की पूजा की जाती है !’ वटवृक्ष (बरगद का वृक्ष) की शुद्ध वायु सेे सत्यवान को होश आया जिससेे सावित्री को आनंद हुआ ।

लोकतांत्रिक राज्यप्रणाली ने आजतक कभी भी सुराज्य नहीं दिया ! – अभय वर्तक, सनातन संस्था

मुलुंड तथा वसई, साथ ही नई मुंबई के खारघर में आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव में सुबह के सत्र में साधकों को साधना के विषय में मार्गदर्शन किया गया, साथ ही गुणी छात्र तथा जिज्ञासुआें के लिए मार्गदर्शन का आयोजन किया गया ।