दीपज्योति नमोस्तुते

पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज भले ही बिजली के आधुनिक उपकरणों से सर्वत्र रोशनाई की जगमगाहट होती हो; परंतु जो तेज दीप में है, वह उस कृत्रिम जगमगाहट में तनिक भी नहीं होता ।

श्रीरामजी की आरती !

श्रीरामचंद्र कृपाल भजु मन हरण भव भय दारुणम् ।
नवकंजलोचन,कंजमुख,कर-कंज,पद-कंजारुणम्।।१।। श्रीराम-श्रीराम….