कहां पश्चिमी विचारधारा और कहां हिन्दू धर्म !

‘पश्चिमी विचारधारा और शोध कार्य केवल सुखप्राप्ति के लिए होते हैं । मानव की सुख की लालसा कभी पूर्ण नहीं होती, इसलिए अनेक शोध करने पर भी मानव अधिक और अधिक दुखी ही होते जा रहा है । इसके विपरीत हिन्दू धर्म ईश्वर प्राप्ति हेतु अर्थात चिरंतन आनंद की प्राप्ति हेतु मार्गदर्शन करता है, इसलिए हिन्दू धर्म का पालन करनेवाला कभी दुखी नहीं होता ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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