आयुर्वेद का महत्त्व !

‘पूर्वकाल में आयुर्वेद के कारण भी संसार में सर्वत्र भारत का नाम था । आगामी तृतीय विश्वयुद्ध के काल में औषधियां तथा डॉक्टर उपलब्ध नहीं होंगे । उस समय भारत को छोडकर अन्य देशों के नागरिकों के सामने ‘रोगग्रस्त रहना अथवा मरना’, इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होगा । इसके विपरीत भारत में औषधीय वनस्पति एवं उससे संबंधित थोड़ी बहुत जानकारी रखनेवाले प्रत्येक गांव में हैं । इसलिए रोगियों पर थोडे बहुत उपचार अवश्य होंगे ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

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