भारत की दुर्दशा !

‘पूर्व काल में भारत का परिचय था, ‘अध्यात्मशास्त्र और संसार को साधना सिखानेवाला साधु- संतों का देश ।’ आज वही पहचान ‘राष्ट्राभिमान और धर्माभिमान रहित भ्रष्टाचारी लोगों का देश’ ऐसी बन गई है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

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