आध्यात्मिक प्रगति हेतु पोषक वातावरण !

उत्तरोत्तर आध्यात्मिक प्रगति हेतु साधना को जीवन में उतारना आवश्यक होता है । आश्रम में होनेवाले स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन सत्संग, भाववृद्धि सत्संग, व्यष्टि साधना का ब्यौरा आदि द्वारा साधकों को साधना के विषय में क्रियात्मक स्तर का मार्गदर्शन मिलने से उनकी साधना में उत्तरोत्तर प्रगति होती है ।

जीवन की प्रत्येक कृति का एकमात्र उद्देश्य – साधना

पूजा के लिए डलिया में रखे फूलों की रचना सात्त्विक पद्धति से करने पर उससे भक्तिभाव के स्पंदन निर्मित होते हैं और पूजा भावपूर्ण होती है । माथे पर तिलक लगाने से आचारधर्म का पालन होता है ।

सनातन आश्रम की कोटा फर्शपर अपनेआप उभरे ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनना

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के निवासवाले गोवा के सनातन आश्रम में लगाए गए कोटा फर्श पर वर्ष २०१३ में कुछ स्थानों पर अपनेआप ॐ अंकित हुआ था । १५.१२.२०१७ को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को इस ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनने की घटना दिखाई दी ।

सर्वस्व त्याग कर साधना का आनंद अनुभव करनेवाले साधकों को आश्रय देनेवाली और उन्हें उच्च लोकों की अनुभूति करानेवाली पवित्र वास्तु का नाम है, सनातन आश्रम !

समाज के लोग सनातन के आश्रम में रहनेवाले साधकों को पागल समझते हैं । क्योंकि, आश्रम के छोटे से बडे तक किसी भी साधक को सांसारिक जीवन में रुचि नहीं रहती । इसी प्रकार, वे सब सांसारिक सुखों का, ऐश्‍वर्य का, तन, मन और धन का त्याग कर, आश्रम में साधना करते हैं । साधना करनेवाले व्यक्ति को सुखभोग, ऐश्‍वर्य आदि का महत्त्व शून्य लगता है ।

सनातन आश्रम में कोटा पटिया पर अपनेआप बने ॐ के चारों ओर श्‍वेत वलय निर्मित होना

साधना करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति जैसे-जैसे बढती है, वैसे-वैसे उसमें तथा उसके आसपास की वस्तुओं में भी, अनेक सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं ।

सनातन के रामनाथी, गोवा के आश्रम के ध्यानमंदिर में दीपों की विशेषतापूर्ण सजावट

संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वरजी के कथनानुसार दीप चाहे जितना भी छोटा हो; परंतु उसमें संपूर्ण कक्ष को प्रकाशमान करने का सामर्थ्य होता है ।

प.पू. डॉक्टरजी द्वारा निर्मित रामनाथी आश्रम का महर्षि द्वारा विविध उपमा देकर किया गया वर्णन

रामनाथी आश्रम साक्षात श्रीमत् नारायण का वैकुंठ लोक है; क्योंकि अवतार लीला करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण यहां प्रत्यक्ष विराजमान हैं । 

सनातन आश्रम में दत्तमाला के मंत्र जपते समय आश्रम परिसर में हुआ वैशिष्ट्यपूर्ण प्राकृतिक परिवर्तन

दत्तमाला मंत्र’ का पाठ प्रारंभ करने पर सनातन आश्रम के परिसर में गूलर के ५८ पौधे उगना और ये पौधे अर्थात प.पू. डॉक्टरजी के आसपास सुरक्षा-कवच निर्माण होने का द्योतक है, ऐसा योगतज्ञ दादाजी वैशंपायनजी ने बताया

निरपेक्ष प्रेम देकर अतिथियों को अपनी ओर आकर्षित करनेवाला रामनाथी (गोवा) का सनातन आश्रम

सनातन आश्रम में प्रवेश करते ही हंसकर स्वागत होता है । बिना बताए ही सामान कक्ष में रखने हेतु सहायता की जाती है । साधक यह सर्व इतने प्रेम, सहजता और शीघ्र गति से करते हैं, कि आनेवाला देखते ही रह जाता है । कुछ पूछना नहीं पडता न ही कुछ मांगना पडता है ।

सनातन आश्रम परिसर में उगे गूलर के पौधों का और अन्य स्थानों पर उगे गूलर के पौधों का अध्ययन करने के लिए महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा किए गए परीक्षण !

योगतज्ञ दादाजी वैशंपायनजी द्वारा बताया गया दत्तमाला मंत्रजप करने पर रामनाथी, गोवा स्थित सनातन आश्रम परिसर में ऊगे हुए गूलर के पौधों और अन्य स्थानों पर उगे गूलर के पौधों का अध्ययन करने के लिए महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा लोलक-चिकित्सा से किए गए परीक्षण !