सनातन आश्रम की कोटा फर्शपर अपनेआप उभरे ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनना

विशेषतापूर्ण आध्यात्मिक घटना का कारण जान लेने हेतु महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा किया गया अनुसंधान

जैसे-जैसे जीव की साधना बढती जाती है, वैसे-वैसे उसके द्वारा अधिकाधिक सात्त्विकता का प्रक्षेपण होकर उसके संपर्क में आनेवाली वस्तुएं, वास्तु और उसके आसपास का वातावरण चैतन्यमय बनने लगता है । मंदिर, संतों के समाधिस्थान और संतों द्वारा वास्तव्य किया आश्रम चैतन्यमय बन जाता है और वहां से सर्वत्र चैतन्य का प्रक्षेपण करते हैं । संक्षेप में कहा जाए तो जैसे-जैसे साधना के कारण व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर बढता जाता है, वैसे-वैसे उसमें अनेक विशेषतापूर्ण सकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं तथा उसका सुपरिणाम आसपास के घटकों पर भी होने लगता है । इन परिणामों का अध्ययन करने से अध्यात्म में निहित अनेक नई बातों का रहस्यभेदन होकर प्राप्त ज्ञान का उपयोग मनुष्य के कल्याण के लिए होगा, इस उद्देश्य से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने स्वयं के, अन्य संतों के तथा कुछ साधकों के संदर्भ में अनेक विशेषतापूर्ण घटनाआें का अध्ययन किया । ऐसी विशेषतापूर्ण घटनाएं, वस्तुएं, वास्तु अथवा वातावरण में निहित विशेषतापूर्ण परिवर्तन सर्वसामान्य व्यक्ति भी समझ सके; इसके लिए परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में अनुसंधान चल रहा है । गोवा के सनातन आश्रम में घटित ऐसी ही एक विशेषतापूर्ण घटना का अध्ययन किया गया, जिसे यहां प्रस्तुत कर रहे हैं

१. विशेषतापूर्ण घटनाएं

सनातन आश्रम में लगाई गई कोटा फर्श पर उभरे ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनना : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के निवासवाले गोवा के सनातन आश्रम में लगाए गए कोटा फर्श पर वर्ष २०१३ में कुछ स्थानों पर अपनेआप ॐ अंकित हुआ था । १५.१२.२०१७ को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को इस ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनने की घटना दिखाई दी ।

२. घटना का किया गया अध्ययन

घटना का अध्ययन करने पर फर्श पर अंकित ॐ के आसपास बने श्‍वेत वलयोें की निम्न विशेषताएं ध्यान में आईं

अ. वर्ष २०१३ में कोटा फर्श के कुछ स्थानों पर ॐ का उभरना सबसे पहले ध्यान में आया ।

आ. पहले अस्पष्ट दिखनेवाला ॐ समय बीतने के साथ-साथ अधिकाधिक स्पष्ट दिखाई देने लगा ।

इ. इस ॐ के आसपास सामान्यतः २६ सें.मी. व्यास के श्‍वेत वलय बन गए ।

ई. सूक्ष्म तरंगों का अनुभव करने में सक्षम साधकों को इन वलयों की ओर देखकर अच्छा प्रतीत होता है ।

उ. आध्यात्मिक कष्टवाले साधकों को ऐसा लगता है कि इन वलयों की ओर नहीं देखना चाहिए ।

ऊ. फर्श पर अंकित ॐ से लगभग आधा मीटर दूरी पर अनिष्ट शक्तियों के कारण एक मुखाकृति उभर आई; परंतु उसकेे आसपास ऐसा वलय नहीं बना है ।

३. विशेषतापूर्ण घटनाआें का अध्यात्मशास्त्र

३ अ. सनातन आश्रम में व्याप्त चैतन्य के कारण वहां के फर्श पर कई स्थानों पर ॐ का सात्त्विक चिह्न अंकित हो जाना :

सनातन आश्रम में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी, संत, साधक आदि सात्त्विक जीवों के निवास के कारण तथा आश्रम में चलनेवाले धर्मकार्य के कारण वहां प्रचुर मात्रा में चैतन्य है । उसका परिणाम जिसप्रकार से आश्रम में रहनेवाले व्यक्ति पर होता है, वैसा ही वे आश्रम में स्थित वस्तुआें पर भी हुआ है और उससे अनेक स्थानों पर ‘ॐ’ ये सात्त्विक चिह्न उभरे हैं ।

३ आ. तात्कालीन टाईल्स के स्थानपर प्राकृतिक कोटा फर्शपर ॐ का अंकित होना :

कोटा नामक फर्श एक विशिष्ट पत्थर से बना हुआ, लगभग एक जैसी लंबाई, चौडाई तथा मोटाईवाले टुकडे होते हैं । तात्कालीन टाईल्स की अपेक्षा पत्थर में चैतन्य को ग्रहण तथा प्रक्षेपण की क्षमता अधिक होती है । उसके कारण सनातन आश्रम में व्याप्त चैतनन्य के कारण अपनेआप अंकित ॐ तात्कालीन टाईल्स के स्थानपर कोटा फर्शपर अंकित दिखाई देते हैं ।

३ इ. फर्श पर उभरे ॐ के आसपास श्‍वेत वलय क्यों बनें ? :

परमेश्‍वर का वाचक ॐ एक सत्त्विक चिह्न है । उससे वातावरण में प्रचुर मात्रा में चैतन्य प्रक्षेपित होता है । फर्श पर अंकित ॐ के आसपास बने श्‍वेत वलय, इस ॐ से प्रक्षेपित होनेवाले चैतन्य के कारण बने हैं ।

४. महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की पू. (श्रीमती) योया वालेजी द्वारा किया गया सूक्ष्म परीक्षण

इन वलयों की ओर देखने पर ऐसा प्रतीत हुआ कि ‘यह पवित्र भूमि नामजप कर रही है और उस नामजप का चैतन्य इन वलयों के माध्यम से सर्वत्र फैल रहा है ।’ साथ ही यह भी लगा कि ये वलय ॐ में व्याप्त चैतन्य की तरंगों का समय के अनुसार कार्यरत होने का दर्शक होने का है । संत एवं द्रष्टाआें द्वारा बताया गया संकटकाल निकट आ रहा है । इस संकटकाल में साधकों की रक्षा हेतु ईश्‍वरद्वारा प्रदान की गई यह एक विशेषतापूर्ण अनुभूति है ।

संक्षेप में कहा जाए, तो सनातन आश्रम में व्याप्त चैतन्य के कारण फर्श पर ॐ अंकित हुए तथा इस ॐ से वातावरण में प्रक्षेपित होनेवाले चैतन्य के कारण उनके आसपास श्‍वेत वलय बन गए ।

– कु. प्रियांका लोटलीकर, महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय, गोवा (२०.१.२०१८)

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विशेषज्ञ, अभ्यासी, इस विषय में अध्ययनरत छात्र तथा वैज्ञानिक दृष्टि से अनुसंधान करनेवालों से विनम्र अनुरोध !

वस्तु तथा वास्तु के संदर्भ में आध्यात्मिक दृष्टि से विशेषतापूर्ण घटनाआें के विषय में अधिक अनुसंधान कर उसका कार्यकारणभाव ढूंढने के लिए साधक प्रयासरत हैं । आश्रम में स्थित कोटा फर्श पर अपनेआप उभरे ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण है ? ऐसे वलयों का अनुसंधान किन वैज्ञानिक उपरणों द्वारा किया जाए ? इस संदर्भ में विशेषज्ञ, अभ्यासी, इस विषय की शिक्षा ले रहे छात्र तथा वैज्ञानिक दृष्टि से अनुसंधान करनेवालों से यदि हमें सहायता मिले, तो हम उनके प्रति सदैव कृतज्ञ रहेंगे । – व्यवस्थापक, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा

(ई मेल : [email protected])

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