गुुरुकृपायोग के अनुसार साधना आरंभ करनेपर माया के विश्व से अलिप्त होकर स्वयं को झोंक देकर सेवा करनेवाले तथा परात्पर गुुरु डॉक्टरजी के साथ पहली भेंट में उनके चरणोंपर जो अपेक्षित था, वह प्राप्त होने की अनुभूति लेनेवाले पू. नीलेश सिंगबाळजी !
मेरी साधनायात्रा तो सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ‘गुरु का महत्त्व, प्रकार तथा गुरुमंत्र’ ग्रंथ के मुखपृष्ठ की भांति है । इसमें गुरु को साधक का हाथ पकडकर उसे आगे ले जाते हुए दिखाया गया है ।