गुुरुकृपायोग के अनुसार साधना आरंभ करनेपर माया के विश्‍व से अलिप्त होकर स्वयं को झोंक देकर सेवा करनेवाले तथा परात्पर गुुरु डॉक्टरजी के साथ पहली भेंट में उनके चरणोंपर जो अपेक्षित था, वह प्राप्त होने की अनुभूति लेनेवाले पू. नीलेश सिंगबाळजी !

मेरी साधनायात्रा तो सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ‘गुरु का महत्त्व, प्रकार तथा गुरुमंत्र’ ग्रंथ के मुखपृष्ठ की भांति है । इसमें गुरु को साधक का हाथ पकडकर उसे आगे ले जाते हुए दिखाया गया है ।

भाव का मूर्तिमंत उदाहरण बने तथा समाज में विद्यमान लोगों को आदरणीय प्रतीत होनेवाले सनातन के ७४वें संत पू. प्रदीप खेमकाजी !

पू. प्रदीपभैय्या का आध्यात्मिक स्तर जब ६१ प्रतिशत हुआ था, उस समय उनके एक निकट के मित्र ने कहा, प्रदीप हमें सदैव साधना के विषय में बताता था; परंतु हमने उसे समझ में नहीं लिया, यह अब ध्यान में आ रहा है । वह जो बता रहा है, वह कुछ अलग ही है और उससे हमारे जीवन में परिवर्तन आनेवाला है ।

प.पू. गुरुदेव की अपार कृपा से संत देखने गया एवं संत ही बन गया, एेसी अनुभूति लेनेवाले सनातन के १९ वें संत पू. रमेश गडकरीजी

सनातन संस्था में आने से पूर्व के प्रसंग तथा जानकारी लिखते समय गुरुदेव ने मुझे किस प्रकार संभाला है, इसका भान होकर मेरा कृतज्ञताभाव बढ गया ।

साधकों को साधना के लिए प्रेम एवं लगन से मार्गदर्शन करनेवाले नाशिक निवासी सनातन के ४३ वें संत पू. महेंद्र क्षत्रिय !

पू. काकाजी का प्रत्येक साधक की आेर ध्यान रहता है । वे प्रत्येक साधक की साधना की पूछताछ करते हैं तथा उन्हें मार्गदर्शन कर ध्येय का स्मरण करवाते हैं ।

भगवान परशुरामजी की कृपा प्राप्त तथा परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति उच्च कोटि का भाव रखनेवाली म्हापसा (गोवा) की पू. सुशीला आपटेदादीजी (आयु ८१ वर्ष) सद्गुुरुपदपर विराजमान !

परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति उच्च कोटि का भाव रखनेवाली म्हापसा (गोवा) की पू. सुशीला आपटेदादीजी द्वारा आषाढ कृष्ण पक्ष दशमी/एकादशी के शुभदिनपर सद्गुरुपदपर विराजमान होने की घोषणा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की वंदनीय उपस्थिति में सनातन की सद्गुुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने की ।

वात्सल्यभाव, सेवाभाव तथा गुुरुदेवजी के प्रति अपार भाव व्याप्त सनातन की ७०वीं संत पू. (श्रीमती) उमा रविचंद्रनजी की गुणविशेषताएं

पू. (श्रीमती) उमाक्का चेन्नई में हैं, यह हमारा सौभाग्य है । मुझे उनके साथ प्रवचन करने की सेवा में सहभागी होने का अवसर मिला था । पू. उमाक्का को कोई भी आध्यात्मिक अथवा व्यावहारिक प्रश्‍न पूछे जानेपर उनसे उसका अचूक उत्तर अथवा मार्गदर्शन मिलता है ।

निरपेक्ष प्रेम के कारण सदैव दूसरों का विचार करनेवाले तथा प्रत्येक कृत्य सुंदर तथा आदर्श पद्धति से करनेवाले सनातन के ११वें संत पू. संदीप आळशीजी

फरवरी से जून २०१७ की अवधि में कु. गौरी मुदगल (आयु १७ वर्ष) पू. संदीप आळशीजी के लिए काढा बनाने की सेवा करती थी । इस कालावधि में उसे पू. संदीपभैय्या से सिखने मिले सूत्र तथा सेवा करते समय प्राप्त अनुभूतियां यहां दे रहे हैं ।

अनुसंधान में विद्यमान पू. श्रीकृष्ण आगवेकरजी !

मैं जब आगवेकरकाकाजी के घर गई, तब उन्होंने हंसकर विनम्रता से मुझे बैठने के लिए कहा । उनकी ओर देखते समय ‘मुझे चैतन्य मिल रहा है’, ऐसा प्रतीत होकर मेरी बहुत भावजागृति हुई ।

विनम्र, निरपेक्ष एवं सेवाभावी पू. नीलेश सिंगबाळ !

पू. सिंगबाळजी में सीखने की वृत्ति भी अत्यधिक है । कोई कुछ नया बताए, तो पूरी एकाग्रता से सुनते हैं और उसके विषय में पूछते हैं । उनके मुख से श्‍वेत प्रकाश प्रक्षेपित होता दिखता था और उनमें प.पू. गुरुदेवजी की छवि दिखती थी ।

मां-पिता समान सभी साधकों को आध्यात्मिक स्तर पर घडने के लिए प्रयासरत पू. (श्रीमती) सूूरजकांता मेनरायजी !

सनातन की ४५ वीं संत पूज्य (पू.) मेनराय दादी का ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को जन्मदिन है  इस निमित्त उनकी ध्यान में आई गुणविशेषताएं यहां दे रहे हैं ।