रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए ! (भाग ४)

आपको प्राकृतिक खेती का प्रकल्प देखकर आश्चर्य होगा कि ‘यह ऐसे कैसे हो सकता है ?’, ऐसा प्रश्न आपके मन में आ सकता है । (इन प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए ही) हम इन प्रकल्पों में विविध शास्त्रज्ञों को, इसके साथ ही असंख्य किसानों को जोडा है । शास्त्रज्ञों द्वारा किए गए शोध के शोधनिबंध तैयार हैं ।

युद्ध के परिणाम

शहर के शहर भस्म हो जाते हैं । उसके कारण उद्ध्वस्त शहर, मार्ग, पुल आदि तथा नष्ट हुई संस्थाओं को खडा करने में बहुत समय लग जाता है । जिससे वहां के विकास की बहुत हानि होती है ।

घर के घर में ही आलू का रोपण

रोपण कैसे करें, यह समझने के लिए यूट्यूब पर वीडियो पाठकों की सुविधा के लिए यहां दे रहे हैं । इस वीडियो में कुछ भाग उपरोक्त लेख में दी हुई जानकारी से भिन्न हो सकता है ।

घर के घर ही में धनिया और पुदीना का रोपण

‘धनिया भले ही बीजों से होता है, तब भी इन बीजों को हमें किसी रोपवाटिका से खरीद कर लाने की आवश्यकता नहीं होती । अपनी रसोई में ही ये बीज होते हैं । धनिया बोने की विविध पद्धतियां हैं ।

अत्यंत ही अल्प उपयोगी विदेशी सेब की अपेक्षा भारतीय फल खाएं !

भारत में केवल हिमाचलप्रदेश एवं कश्मीर, इन दो राज्यों में ही होनेवाला सेब, यह फल आज सर्व राज्यों में बारहों महीने उपलब्ध है । उसका वृक्ष कैसा होता है ? उसके पत्ते कैसे दिखाई देते हैं ? उसका बौर कैसा होता है ?

विश्वयुद्ध, भूकंप इत्यादि आपदाओं का प्रत्यक्षरूप से सामना कैसे करें ? (भाग ९)

अबतक हमने इस लेखमाला में विविध आपदा एवं उनसे बचाव करने से संबंधित सूत्र देखे । इस लेख में इन सभी आपदाओं के संदर्भ में कुछ सामायिक सूचना हैं । उन्‍हें ध्‍यान में रखकर आपदा से पूर्व कुछ तैयारियां करना संभव होगा ।

रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए ! (भाग ३)

भूमि में फॉस्फरस, यशद (जिंक), पोटैश, तांबे समान अनेक खनिज घटक होते हैं; परंतु ये घटक स्वयं ही वनस्पति को अन्न के रूप में उपलब्ध नहीं होते । केंचुए, इसके साथ ही भूमि के सूक्ष्म जीवाणु उन घटकों से अन्न निर्माण करते हैं और वनस्पतियों की जडों को देते हैं ।