महत्त्वपूर्ण औषधीय वनस्पतियों का घरेलु स्तर पर रोपण कैसे करें ? भाग – ५

प्रस्तुत लेख में पारिजातक, बेल, खस, अश्वगंधा, गेंदा, उपलसरी (सारिवा अथवा अनंतमूल), जैसी कुछ महत्त्वपूर्ण औषधि वनस्पतियों का महत्त्व, पहचान एवं घरेलु स्तर पर रोपण करने की पद्धति के विषय में जानकारी दी है ।

महत्त्वपूर्ण औषधीय वनस्पतियों का घरेलु स्तर पर रोपण कैसे करें ? भाग – ४

प्रस्तुत लेख में ब्राह्मी, वेखंड, शतावरी, हलदी, नीम, जैसी कुछ महत्त्वपूर्ण औषधि वनस्पतियों का महत्त्व, पहचान एवं घरेलु स्तर पर रोपण करने की पद्धति के विषय में जानकारी दी है ।

महत्त्वपूर्ण औषधि वनस्पतियों का घरेलु स्तर पर रोपण कैसे करें ? भाग – ३

प्रस्तुत लेख में पर्णबीज, माका, गुडहल, पुनर्नवा, जैसी महत्त्वपूर्ण औषधीय वनस्पतियों का महत्त्व, पहचान तथा घरेलु स्तर पर रोपण कैसे करें ?, इस विषय में जानकारी दी है ।

महत्त्वपूर्ण औषधि वनस्पतियों का घरेलु स्तर पर रोपण कैसे करें ? भाग – २

निर्गुंडी, सहजन, हरी चाय, दूर्वा (दूब), पानबेल (पान के पत्तों की बेल), अपामार्ग इन वनस्पतियों का महत्त्व, पहचान तथा राेपण करने की पद्धति के विषय में जान लेंगे ।

महत्त्वपूर्ण औषधि वनस्पतियों का घरेलु स्तर पर रोपण कैसे करें ? भाग – १

औषधि वनस्पतियों की संख्या अगणित है । ऐसे समय पर कौन-सी वनस्पति लगाएं ? ऐसा प्रश्न निर्माण हो सकता है । प्रस्तुत लेख में कुछ महत्त्वपूर्ण औषधि वनस्पतियों का घरेलु स्तर पर रोपण कैसे करें ?, इस विषय में जानकारी दी है । ये वनस्पतियां रोपण करने के लगभग ३ महिने पश्चात औषधियों के रूप में उपयोग में लाई जा सकती हैं ।

रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए ! (भाग २)

विश्व में इस प्रकार से ४ – ५ दिनों में तैयार होनेवाला दूसरा खाद नहीं ! देसी गाय के एक दिन के गोबर और मूत्र से १ एकड खेती के लिए जीवामृत तैयार होता है । जब इसका खेत के जीवाणुओं से संयोग होता है, तब वे जामन का काम करते हैं ।

महायुद्ध, भूकंप इत्यादि आपत्तियाें का प्रत्यक्ष रूप से सामना कैसे करें ? (भाग ८)

भूस्खलन होने के कारण, उसकी विभीषिका, भूस्खलन का संकट टालने हेतु कुछ प्रतिबंधात्मक समाधान, भूस्खलन होने से पूर्व मिलनेवाली कुछ सूचना, भूस्खलन होते समय तथा होने के पश्चात क्या करना चाहिए आदि विषयों की जानकारी दी गई है ।

विश्वयुद्ध, भूकंप इत्यादि आपदाओं का प्रत्यक्षरूप से सामना कैसे करें ? (भाग ७)

अन्य समय पर देश में ठंड के मौसम में शीतलहर आती है । हिमालय में तो तापमान शून्य के नीचे ४० डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है । आज के आपातकाल में शीतलहर आने की संभावना को भी टाला नहीं किया जा सकता । इस लेख में भारत में शीतलहर आने पर सामान्यतः क्या उपाय किए जा सकते हैं, इसकी जानकारी दी गई है ।

विश्‍वयुद्ध, भूकंप इत्‍यादि आपदाओं का प्रत्‍यक्षरूप से सामना कैसे करें ? (भाग ६)

भारत में लू लगने से सैकडों लोगों की मृत्‍यु होती है । गर्मी की लहर और लू क्‍या होती हैं ? गर्मी की लहर से होनेवाले परिणाम, उसके कारण होनेवाली बीमारियां, नए घर का निर्माण करते समय गर्मी से रक्षा होने हेतु क्‍या करना चाहिए ? भविष्‍य में विविध कारणों से गर्मी की लहर आने पर कौन से उपाय करने चाहिए ?, इस लेख में इसकी जानकारी देने का प्रयास किया गया है ।