युद्ध के परिणाम

सौ. रूपाली वर्तक

१. बडी मात्रा में जनता का स्थानंतरण और साथ ही उसके अनेक दुष्परिणाम उन्हें भोगने पडते हैं । देश छोडकर गए नागरिकों के पास बहुत बार उनके महत्त्वपूर्ण कागजात, दूसरे देश की नागरिकता आदि बातें नहीं होती हैं । सबकुछ छोडकर आए नागरिकों को नए सिरे से आरंभ कर अपना संसार पुन: खडा करना पडता है । धन, कागजात, घर, नौकरी आदि कुछ भी न होने के कारण कुछ लोगों को अत्यंत दयनीय जीवन वर्षाें तक अथवा जीवनभर जीना पडता है ।

२. शत्रुओं द्वारा विद्यापीठ, ग्रंथालय और पूजास्थल आदि पर आक्रमण करने के कारण वहां की संस्कृति पर बडा प्रहार होता है, उदा. मुगलों के आक्रमण से भारत के नालंदा और तशक्षिला विश्वविद्यालय भस्म हो गए ।

रशिया-युक्रेन युद्ध में युक्रेन की उद्ध्वस्त हुई इमारत

३. शहर के शहर भस्म हो जाते हैं । उसके कारण उद्ध्वस्त शहर, मार्ग, पुल आदि तथा नष्ट हुई संस्थाओं को खडा करने में बहुत समय लग जाता है । जिससे वहां के विकास की बहुत हानि होती है ।

४. देश में बेरोजगारी, निर्धनता जैसे असंख्य आर्थिक प्रश्न निर्माण होते हैं ।

५. कृषि, अनाज, व्यवसाय, इन सब पर परिणाम होने के कारण, साथ ही देश का धन युद्ध के लिए व्यय हो जाने के कारण आर्थिक स्थिति भी डगमगा जाती है ।

६. सब जगह बडी मात्रा में अस्थिरता निर्माण होने के कारण जीवन सहज कैसे हो इसको प्रधानता देनी पडती है । जिसके कारण इस काल में कला और संस्कृति का विकास नहीं होता ।

७. परिवार नष्ट हो जाने के कारण अनाथ बच्चों का, साथ ही अत्याचार होने के कारण उत्पन्न हुए अवैध बच्चों आदि का प्रश्न निर्माण होता है ।

८. विदेशी फौज के सैनिकों द्वारा स्थानीय स्त्रियों पर अत्याचार किए जाते हैं । स्त्रियों का अपहरण अथवा बिक्री जैसी घटनाएं भी उनके साथ होती हैं ।

९. विजयी राष्ट्र स्थानीय प्रजा को नीचा दिखाकर उनपर अपना अधिकार जमाते हैं और इससे सामाजिक अशांति उत्पन्न होती है ।

– सौ. रूपाली वर्तक, सनातन आश्रम, पनवेल. (२१.४.२०२२)

 

‘ युद्ध के कारण आपातकाल में परिस्थिति कितनी भीषण हो सकती है’, इसके कुछ उदाहरण !

बढती हुई महँगाई

१. युद्ध संकट के कारण घरों का गिरना, परिवारों का बिखरना और खानेपीने की समस्या निर्माण होना

२. ईंधन (पेट्रोल, डिजल आदि) की समस्या उत्पन्न होने के कारण यातायात ठप्प होना

३. उद्योग-धंधे बंद होने के कारण प्रचंड आर्थिक मंदी आना

४. साथ ही रोग फैलना तथा डॉक्टर, वैद्य, औषधि, रुग्णालय आदि सहजता से उपलब्ध न होना

५. दूरभाष, चल-दूरभाष, इंटरनेट, तथा विद्युत पर चलनेवाले सभी यंत्र और व्यवस्था खंडित होना

यूक्रेन युद्ध के शिकार

६. हवाईमार्ग, रेल्वेमार्ग, महामार्ग आदि वाहन-व्यवस्था चरमरा जाने के कारण शासन द्वारा भी सहायता करने में अडचनें आना और जीवनावश्यक वस्तुओं के लिए जानलेवा संघर्ष करना पडना

७. आपातकाल की इस भीषणता के कारण अनेक लोगों का मानसिक रोगी होना और कुछ लोगों को लगना कि `इस प्रकार जीने से अच्छा तो मर जाना है’ ।

(भीषण आपातकाल का सामना करने के लिए सभी शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, आध्यात्मिक इत्यादि स्तरों पर पूर्वनियोजन कैसे करें ? इस विषय पर सविस्तार विवेचन सनातन की `आपातकाल में जीवनरक्षा ग्रंथमाला (२ खंड)’ में किया है ।)

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