शरीर निरोगी रहने के लिए अयोग्य समय पर खाना टालें !

क्या आयुर्वेद में चटपटा एवं स्वादिष्ट खाना मना है ? इसका उत्तर है नहीं ! इसके विपरीत रुचि लेकर खाने से संतोष होता है ।

साधना अच्छी होने के लिए आयुर्वेद के अनुसार अभ्यास करने की आवश्यकता

मनुष्यजन्म बहुत पुण्य से मिलता है । साधना कर ईश्वरप्राप्ति करने में ही मनुष्यजन्म की सार्थकता है । शरीर निरोगी होगा, तो साधना करना सरल हो जाता है ।

अग्निहोत्र का साधना की दृष्टि से महत्त्व

इस लेख में हम अग्निहोत्र का साधना की दृष्टि से महत्त्व, अग्नि का महत्त्व, अग्निहोत्र की व्याख्या, अग्निहोत्र के प्रवर्तक, अग्निहोत्र का महत्त्व एवं अग्निहोत्र के लाभ संबंधी जानकारी देखेंगे ।

अणुयुद्ध के कारण होनेवाले प्रदूषण से रक्षा होने के लिए किए जानेवाले उपाय : अग्निहोत्र

अग्निहोत्र के परिणाम स्वरूप भौतिकरीति से वायु की शुद्धि होने से मानवी मन की शुद्धि होती है । मन शुद्ध होने पर अपनेआप ही उसका विचार-आचार पर प्रभाव पडता है और अंतिमत: मनुष्य आनंदी होता है ।

विषमुक्त अन्न के लिए घर के घर ही में हरे शाक-तरकारी का रोपण करें !

घर के घर ही में प्राकृतिक पद्धति से हरे शाक-तरकारी का रोपण कर न्यूनतम (कम से कम) अपने कुटुंब के लिए तो विषमुक्त अन्न उगाना हमारे लिए सहज संभव है । तो चलिए ! सनातन के घर-घर रोपण अभियान में सहभागी होकर विषमुक्त अन्न का संकल्प करेंगे !

प्राकृतिक खेती के विषय में अपप्रचार का खंडन

उसे रुग्णालय में दाखिल करना पडा । तब आचार्य देवव्रत ने विषैली खेती के पर्याय के रूप में प्राकृतिक खेती कर देखना निश्चित किया ।

‘सेंद्रिय खेती’ अर्थात ‘प्राकृतिक खेती’ नहीं !

‘कोकोपीट’का उपयोग, हाट से सेंद्रिय खाद खरीदकर लाना एवं पौधों को डालना, कंपोस्ट खाद बनाना, ये बातें सेंद्रिय खेती में आती हैं; प्राकृतिक खेती में नहीं ।

प्राकृतिक खेती में हाट से खरीदी हुई खाद का उपयोग न करते हुए भी अधिक उत्पन्न प्राप्त करने का शास्त्र

‘पौधों की बढत के लिए आवश्यक खनिज द्रव्य मिट्टी में होते हैं; परंतु पौधों की जडें द्रव्य सीधे ग्रहण नहीं कर सकतीं । मिट्टी के खनिज द्रव्य पौधों द्वारा अवशोषित होने के लिए पौधों के लिए उपयुक्त सूक्ष्म जीवाणुओं की आवश्यकता होती है ।