वर्तमान के ‘ऑनलाईन’ काल में आंखों की उचित देखभाल के लिए आगे दी गईं बातें ध्यान में रखें !

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१. ‘ऑनलाईन’के काल में आंखों की देखभाल के विविध उपाय !

डॉ. निखिल माळी

वर्तमान में सभी स्थानों पर ‘ऑनलाईन’ शिक्षा शुरू हो गई है । बालवाडी (किंडरगार्डन) से लेकर पदवी तक, सभी लोग ऑनलाईन शिक्षा ले रहे हैं । बिना कहीं बाहर निकले तंत्रज्ञान की सहायता से वर्तमान स्थिति में भी शिक्षा शुरू है । इसकारण बच्चों से लेकर प्रौढ व्यक्तियों तक, सभी लोग संगणक और भ्रमणभाष का उपयोग भारी मात्रा में कर रहे हैं । इस अमर्याद उपयोग के कारण आंखों पर सर्वाधिक विपरीत परिणाम हो रहा है । बहुतांश लोगों के सतत संगणक अथवा भ्रमणभाष का उपयोग करना, लेटकर भ्रमणभाष का उपयोग करना, अंधेरे कक्ष में अथवा अत्यंत ही मंद प्रकाश में काम करना, भूख-प्यास भुलाकर और शरीर के उचित देखभाल की अनदेखी कर काम शुरू रहता है ।

इससे आंखें शुष्क होना, उनका लाल होना अथवा वेदना होना, गर्दन में वेदना, भली-भांति अन्न पचन न होना, आम्लपित्त (एसिडिटी होना), मलबद्धता होना, उत्साह न्यून होना, नींद ठीक से न होना, स्वभाव चिडचिडा होना आदि सर्व लक्षण निर्माण होते हैं । इन सभी लक्षणों से संगणक एवं भ्रमणभाष के अमर्यादित उपयोग के घातक परिणाम हमारे ध्यान में आएंगे । इसे आंखों के साथ संपूर्ण शरीर का कुल विचार कर उपाययोजना करना आवश्यक है । वर्तमान के ‘ऑनलाईन’के काल में आंखों की, इसके साथ ही पूरे शरीर का ध्यान कैसे रखें ? इस हेतु यह लेख…

१. सर्वप्रथम आंखों को योग्य प्रकार से आराम दें । व्यवस्थित नींद लेना, यही इस पर रामबाण उपाय है । रात का जागरण और दिन में सोना टालें ।

२. आंखों को भली-भांति पोषण मिलने हेतु संतुलित आहार लें । भोजन में स्निग्ध पदार्थाें का (घी) का उपयोग अवश्य करें । जंकफूड का सेवन अवश्य टालें ।

३. प्यास लगने पर पानी पीएं । एक ही समय पर अधिक पानी पीना टालें, इसके साथ ही अन्य शारीरिक वेगों को (मल-मूत्र) न टालें ।

४. काम करते समय बैठने का स्थान व्यवस्थित होना चाहिए । संगणक आंखों से डेढ से दो फुट के अंतर पर आंखों के स्तर (लेवल) से नीचे होना चाहिए ।

५. काम करते समय कक्ष में पर्याप्त प्रकाश और हवा का आवागमन (VENTILATION) होते रहना आवश्यक है ।

६. संगणक और भ्रमणभाष की ‘ब्राईटनेस’ ऐसी कर लें जिससे आंखों को भली-भांति दिखाई दे । पढते समय ‘ब्लू लाईट फिल्टर’ का उपयोग अवश्य करें ।

७. यदि चश्मा हो, तो पुन: एक बार आंखों की जांच कर ‘ब्लू ब्लॉक कोटिंग’का चश्मा लें । इससे आंखों को अतिनील किरणों (अल्ट्रावॉयलेट किरण) से रक्षा होती है ।

८. जागतिक कीर्ति के नेत्ररोगतज्ञों का भी कहना है कि संगणकीय काम करते समय प्रत्येक २० मिनटों में २० सेकंद के लिए आंखों को आराम देकर बाहर की अथवा २० फुट की दूरी पर वस्तु देखना, यह नियम का पालन अवश्य करें । इससे आंखों की पेशियों पर तनाव न्यून होकर आखों को आराम मिलता है ।

९. बीच-बीच में आंखों की पलकों को कसकर बंद करें और खोलें । यह क्रिया बार-बार दुहराएं । इससे आंखों की नमी बनी रहती है ।

१०. आंखें बीच-बीच में ठंडे पानी से धोएं । मुंह में पानी भरकर (गाल फुलाकर) बंद आंखों पर लगभग २१ बार पानी छिडकें । तदुपरांत मुंह का पानी थूक दें । इससे आंखों की ऊष्णता न्यून होगी । इसे ही आयुर्वेद में ‘नेत्रसेचन’ अथवा ‘नेत्रप्रक्षालन’ कहते हैं ।

११. आयुर्वेदोक्त ‘गंडूष क्रिया’ (Oil pulling) का उपयोग करें । सवेरे दांत मांजने के पश्चात गुनगुने तिल के तेल को मुंह में लेकर लगभग १५ मिनट रखें और बाद में उसे थूककर गरम पानी से कुल्ला करें । इससे आंखों को विशेष लाभ होता है ।

१२. वैद्यकीय परामर्श से आयुर्वेदोक्त ‘अंजन’ का अवश्य उपयोग करें । इससे आंखों के विकृत दोष बाहर आने में सहायता होती है ।

१३. शिक्षकों और विद्यार्थियों को नए-नए तंत्रज्ञान सीख लेना चाहिए । इससे सीखते और सिखाते समय लगनेवाला समय अल्प होने से आंखों को आराम मिलेगा । शिक्षकों को सिखाते समय स्वयं अल्पविश्राम (ब्रेक) लेकर बच्चों को भी अल्पविश्राम लेने के लिए प्रवृत्त करना चाहिए ।

१४. काम करते समय बीच-बीच में थोडा विश्राम लें और अपने स्थान पर उठकर पैर खुले करें । प्रतिदिन व्यायाम, योगासन, प्राणायाम अवश्य करें ।

१५. आंखों के लिए उपयुक्त व्यायाम (आंखों की हालचाल) करें, इसके साथ ही योग में ‘त्राटक क्रिया’ करनी चाहिए । आंखों को आराम देने के लिए हथेली को एक-दूसरे पर घिसकर उन्हें बंद आंखों पर अधिक जोर न देते हुए रखें । इससे आंखों के रक्ताभिसरण में सुधार होता है ।

ऑनलाईन सीखते अथवा सिखाते समय इन सभी का उपयोग अवश्य करें । इससे आंखों की रक्षा होगी, साथ ही यदि कोई शिकायत हो तो नेत्ररोग विशेषज्ञ से परामर्श करें । योग्य समय पर उपचार लेकर आंखें, शरीर और मन को निरोगी रखें ।

– डॉ. निखिल माळी, आयुर्वेद नेत्ररोग विशेषज्ञ, चिपळूण, जिला रत्नागिरी

२. आंखों की देखभाल हेतु यह करें

१. अक्षरों का आकार बडा रखें ।

२. माह में २ – ३ दिन भ्रमणभाष अथवा भ्रमणसंगणक बंद रखकर आंखों को पूर्ण विश्राम दें ।

३. दो मिनट रुककर आंखों के व्यायाम करें, अर्थात आसपास अथवा ऊपर-नीचे देखें और थोडी देर आंखें बंद करें ।

४. आंखें नम रहें; इसलिए विशिष्ट प्रकार की दवाई की बूंदें (अर्थात आई ड्रॉप्स) वैद्यकीय परामर्श अनुसार आंखों में डालें ।

५. संगणक के पर्दें से २२ से २८ इंच की दूरी पर बैठें । अत्यंत निकट अथवा अत्यंत दूर बैठने से आंखों पर तनाव आता है ।

६. टंकलेखन करते समय कलाई सीधी रेखा में हो, इसका ध्यान दें ।

७. ऊंचाई कम-अधिक कर सकें, ऐसी आसंदी (कुर्सी) का उपयोग करें । आपके पैर सतत भूमि पर टिके होने चाहिए ।

८. ‘संगणक के पर्दे पर प्रकाश परावर्तित तो नहीं हो रहा है ना ?’, यह देखें ।

९. कलाई और हाथ भूमि के समांतर रहेगा, इस पद्धति से कीबोर्ड रखें ।

१०. बीच-बीच में उठकर थोडी देर यहां-वहां घूमें ।

होमियोपैथिक वैद्य प्रवीण मेहता

३. आदर्श दिनचर्या : आंखें निरोगी रखने के लिए !

आंखें निरोगी रहने के लिए आदर्श दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ? इस विषय में समझ लेंगे । आयुर्वेद में प्रथम इन्हीं बातों को महत्त्व दिया है । आधुनिक वैद्यकीय शास्त्र के जनक विलियम ओसलर का भी यही कहना है – ‘One of the first duties of the physician is to educate the masses not to take medicine.’ (अर्थ : रोगियों को सीधे औषधि देने के स्थान पर उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे, इसलिए उन्हें शिक्षित करना डॉक्टर का प्रथम कर्तव्य है ।)

अपनी दिनचर्या में आगे दिएनुसार परिवर्तन करने पर आंखों का स्वास्थ्य अवश्य टिका रहेगा और भावी काल में रोगों की तीव्रता भी न्यून होगी ।

१. सवेरे जितना संभव हो, उतनी जल्दी उठने का प्रयत्न करें । उसके लिए रात में शीघ्र सोएं । रात में जागरण न करें अथवा दिन में सोएं नहीं । दोपहर भोजन के पश्चात तुरंत ही सोना टालें ।

२. दांत मांजने के पश्चात आंखों पर ठंडे पानी की छींटे मारें । उससे पहले मुख में पानी भर लें और फिर पानी के छींटे मारने के पश्चात मुख का पानी थूक दें । इससे आंखों की उष्णता कम होकर उन्हें ठंडक मिलती है ।

३. स्नान करने से पूर्व अभ्यंग अर्थात संपूर्ण शरीर और सिर पर तेल लगाएं ।

४. सिर से स्नान करते समय संभवत: ठंडे पानी से करें । सिर से स्नान करने के लिए गरम पानी का उपयोग करने से आंखों और केश की हानि होती है ।

५. वैद्यकीय परामर्श से आंखों में अंजन (काजल) लगाएं । इससे आंखों की रक्षा होती है ।

६. धूप में बाहर निकलते समय सिर भली-भांति ढक लें, इसके साथ ही आंखों के लिए गॉगल्स का उपयोग करें ।

७. पैर में चप्पलें पहनें । संभवत: प्लास्टिक की चप्पलें अथवा सैंडल का उपयोग करना टालें ।

८. दिन में ३ से ४ बार आंखें स्वच्छ पानी से धोएं ।

९. बाहर से घर आने पर हाथ-पैर स्वच्छ धोएं । इससे आंखों का स्वास्थ्य टिका रहता है ।

१०. रात्रि में सोते समय तलवों पर तेल लगाना न भूलें । इससे आंखें निरोगी रहती हैं ।

उपरोक्त सभी बातों का अवलंब अवश्य करें । इसमें लगभग सभी बातों आयुर्वेदोक्त दिनचर्या में आई हैं । उनका आचरण करने से आंखों का स्वास्थ्य टिका रहता है ।

– डॉ. निखिल माळी, आयुर्वेद नेत्ररोगविशेषज्ञ, चिपळूण, जिला रत्नागिरी

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